भारतीय लोकतंत्र में लोकसभा स्पीकर का पद अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पद सदन के संचालन और संसदीय प्रक्रियाओं को सुचारू रूप से चलाने में अहम भूमिका निभाता है। 18वीं लोकसभा के नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर एक नया मोड़ आया है, जब विपक्ष ने अपने उम्मीदवार के रूप में केरल के कांग्रेस सांसद के. सुरेश को उतारा है। अब एनडीए के उम्मीदवार ओम बिरला और विपक्ष के उम्मीदवार के. सुरेश के बीच मुकाबला होने जा रहा है।
के. सुरेश: विपक्ष के उम्मीदवार
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केरल के मवेलिकारा लोकसभा सीट से सांसद के. सुरेश कांग्रेस पार्टी के एक प्रमुख नेता हैं। उनके पास लोकसभा का विस्तृत अनुभव है और वे अब तक सात बार सांसद रह चुके हैं। उन्होंने 1989 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीता था और तब से मवेलिकारा सीट पर उनका कब्जा है। उनके राजनीतिक करियर में वे 2012 से 2014 तक केंद्र सरकार में राज्य मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा, 2018 में उन्हें केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया गया था और वे AICC के सचिव भी रह चुके हैं।
ओम बिरला: एनडीए के उम्मीदवार
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ओम बिरला, राजस्थान के कोटा से लगातार तीसरी बार सांसद बने हैं। 2019 में उन्हें पहली बार लोकसभा का स्पीकर बनाया गया था और अब वे दूसरी बार इस पद के लिए उम्मीदवार हैं। ओम बिरला की छवि एक कड़े प्रशासक की रही है और उन्होंने सदन के संचालन में अनुशासन और व्यवस्थितता बनाए रखी है। उनके नेतृत्व में लोकसभा की कार्यवाही सुचारू रूप से चली और उन्होंने विभिन्न संसदीय समितियों के कार्यों को प्रभावी ढंग से संचालित किया।
विपक्ष का दृष्टिकोण और चुनाव की तैयारी
कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि विपक्ष लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव लड़ेगा। उन्होंने सरकार पर डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देने में आनाकानी करने का आरोप लगाया। यह पहली बार है जब भारतीय इतिहास में सत्ता पक्ष और विपक्ष लोकसभा स्पीकर के पद के लिए आमने-सामने हैं। इस चुनाव में विपक्ष ने अपने उम्मीदवार के रूप में के. सुरेश को उतारा है, जो अपने विस्तृत अनुभव और राजनीतिक समझ के कारण एक मजबूत उम्मीदवार माने जा रहे हैं।
चुनाव की प्रक्रिया और संभावनाएं
लोकसभा स्पीकर का चुनाव 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में होता है। चुनाव प्रक्रिया के दौरान, सभी सांसदों के वोटों के आधार पर स्पीकर का चुनाव किया जाता है। अगर किसी एक उम्मीदवार को बहुमत मिलता है, तो वह स्पीकर बनता है। एनडीए के पास लोकसभा में बहुमत है, जिससे ओम बिरला की जीत की संभावना अधिक है। हालांकि, विपक्ष के उम्मीदवार के. सुरेश भी एक मजबूत उम्मीदवार हैं और चुनाव में कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है।
स्पीकर पद की भूमिका और महत्व
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लोकसभा स्पीकर का पद भारतीय संसदीय प्रणाली में अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्पीकर सदन के संचालन, वाद-विवाद और विधायी प्रक्रियाओं का नियंत्रण करता है। यह पद गैर-पक्षपाती होता है और स्पीकर का काम सभी सांसदों को समान रूप से सुनना और सदन की मर्यादा बनाए रखना होता है। स्पीकर के निर्णयों का पालन सभी सदस्यों को करना पड़ता है और सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए स्पीकर का योगदान महत्वपूर्ण होता है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
18वीं लोकसभा के स्पीकर पद के चुनाव ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। एनडीए और विपक्ष के बीच इस मुकाबले ने राजनीतिक वातावरण को और भी गर्म कर दिया है। विपक्ष का यह कदम लोकतंत्र में विविधता और बहुलता का प्रतीक है। यह चुनाव यह भी दर्शाता है कि भारतीय लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है और वे सत्ता पक्ष के साथ मजबूती से मुकाबला करने के लिए तैयार हैं।
18वीं लोकसभा के स्पीकर पद के लिए होने वाला चुनाव भारतीय लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण घटना है। एनडीए के उम्मीदवार ओम बिरला और विपक्ष के उम्मीदवार के. सुरेश के बीच मुकाबला राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यह चुनाव न केवल संसदीय प्रक्रियाओं को प्रभावित करेगा, बल्कि भारतीय राजनीति में विपक्ष की भूमिका और उनकी ताकत को भी उजागर करेगा। आने वाले दिनों में यह देखना रोचक होगा कि इस प्रतिष्ठित पद के लिए कौन सफल होता है और लोकसभा की कार्यवाही को कैसे संचालित करता है।