राज्यसभा से अपने निलंबन को लेकर राघव चड्ढा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले का मूख्य कारण है कि उन्हें चार सांसदों की शिकायत के बाद राज्यसभा से “विशेषाधिकार के उल्लंघन” के लिए निलंबित कर दिया गया है। यह निलंबन अगस्त माह में हुआ था जब उन्हें विशेष समिति के गठन के लिए चार सदस्यों के नाम प्रस्तुत करने का आरोप लगा।
राघव चड्ढा पर यह आरोप है कि उन्होंने राज्यसभा में ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023’ को पारित कराने की प्रक्रिया के दौरान प्रवर समिति के गठन के लिए चार सदस्यों को बिना प्रस्तावित करने का आरोप लगाया गया था। इसके बाद सदस्यों ने निलंबन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सुनने की मंजूरी दी है, और अब विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है। इसके बाद ही फैसला आएगा कि राघव चड्ढा को उच्च सदन से कितने समय के लिए निलंबित किया जाएगा।
इस मामले में प्रवर समिति के गठन के प्रस्तावित करने में अनुमति नहीं ली जाने की आलोचना की गई है, और यह एक महत्वपूर्ण न्यायिक मामला है जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुना जा रहा है।