भविष्य में संसद की सुरक्षा सीआईएसएफ के हवाले करने का निर्णय लिया गया है। सरकार ने इसके साथ ही संसद परिसर की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को सौंपने का निर्णय किया है। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निर्देश जारी किए हैं। सीआईएसएफ की टीम संसद परिसर का सर्वे करेगी और इसके बाद व्यापक सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करेगी।
नए और पुराने संसद परिसर को सीआईएसएफ के व्यापक सुरक्षा घेरे में लाया जाएगा, जिसमें संसद सुरक्षा सेवा (पीएसएस), दिल्ली पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के संसद ड्यूटी समूह (पीडीजी) भी मौजूद होंगे। यह सुरक्षा बंधन सभी संसदीय क्षेत्रों को समर्थन और सुरक्षा की स्तर पर उच्चता देने का उद्देश्य रखेगा।
सीआईएसएफ को प्रमुख आत्मघाती हमलों और उत्कृष्ट सुरक्षा परिस्थितियों के साथ जुड़ी तैनाती का अनुभव है, और इससे संसद की सुरक्षा में मजबूती आ सकती है। सीआईएसएफ के अधिकारियों की नवीन योजना और सुरक्षा उपायों के माध्यम से संसद परिसर को आपात स्थितियों के खिलाफ तैयार रखा जा सकता है। इसके साथ ही, सीआईएसएफ संसद के लोगों और उनके संप्रेषकों की सुरक्षा के लिए भी उत्तरदाता बन सकती है।
यह कदम उन घटनाओं के पश्चात आया है जब संसद में हुई सुरक्षा चूक के मामले ने सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की मांग को बढ़ा दिया है। 13 दिसंबर 2001 को हुए आतंकवादी हमले के बाद संसद में सुरक्षा में वृद्धि हुई थी लेकिन हाल की घटनाओं ने इसमें कमी का आलम दिखाया है। इस परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए सरकार ने सीआईएसएफ को नई जिम्मेदारियाँ सौंपी हैं ताकि सुरक्षा में सुधार किया जा सके।
सरकार ने इस परिवर्तन के साथ ही संसद की सुरक्षा को मजबूत करने का संकल्प दिखाया है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि लोकतंत्र के नीतिक्रम में कोई दीर्घकालिक बाधा नहीं आती है। इस नए इकाई के साथ हम संसदीय स्थलों की सुरक्षा में नए उत्थान की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे सार्वजनिक स्थानों पर लोगों का विश्वास बढ़ेगा।