दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी, सुनीता केजरीवाल, के साथ मुलाकात के लिए 15 से अधिक विधायक आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री आवास पहुंचे हैं। इनमें से कई उच्च नेता और मंत्रिमंडल के सदस्य भी शामिल हैं। यह मुलाकात उस समय हुई जब अरविंद केजरीवाल जी को जेल में हिरासत में रखा गया है और उन्हें उनकी पत्नी सुनीता से मिलने की अनुमति मिली है।
इस मुलाकात के दौरान, अमरोली विधायक आतिशी, सौरभ भारद्वाज, संजीव झा, दिलीप पांडे, प्रमिला टोकस, राजकुमारी ढिल्लों, राखी बिड़ला, गोपाल राय, इमरान हुसैन, राज कुमार आनंद, कैलाश गहलोत, और अब्दुल रहमान जैसे प्रमुख विधायक मौजूद थे। साथ ही, आम आदमी पार्टी के सभी मंत्रिमंडल के सदस्य भी उस समय वहाँ मौजूद थे।
मंत्रिमंडल के सदस्यों ने इस मौके पर अपने विचार व्यक्त किए और दिल्ली की जनता को यह संदेश दिया कि अरविंद केजरीवाल के साथ खड़ी रहेगी और उन्हें किसी भी कठिनाई का सामना करने की जरूरत नहीं है। सभी ने उनके साथ सौभाग्य और सहानुभूति जताई और उन्हें समर्थन में अपनी पूरी भरोसा जताई।
आतिशी ने इस मौके पर बड़े दावे किए और कहा कि उन्हें बीजेपी ने ज्वाइन करने का दबाव बनाया और उन्हें गिरफ्तार करने की धमकी दी गई है। वह भी कहा कि अगर उन्होंने बीजेपी में शामिल नहीं हुए तो भीड़ियों के माध्यम से उन्हें धमकाया जा रहा है। लेकिन उन्होंने इसका सामना किया और कहा कि वह आम आदमी पार्टी के साथ हैं और उन्हें किसी भी हालत में अपना समर्थन देने का इरादा है।
सौरभ भारद्वाज ने भी मौजूदा परिस्थितियों पर चर्चा की और उन्होंने कहा कि बीजेपी की धमकियों से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। वह भी अपनी पार्टी के लोगों को सहानुभूति और समर्थन देने के लिए प्रेरित किया।
इस मौके पर आये विधायकों ने अरविंद केजरीवाल के साथ होने वाले हर फैसले का समर्थन किया और उन्हें आशीर्वाद दिया। वे सारी चिंताओं को दूर करने के लिए तैयार हैं और अपने नेतृत्व में दिल्ली को प्रगति की राह पर ले जाने का संकल्प लिया हैं।
इस मौके पर विधायकों ने साफ किया कि वे सीएम सीट किसी भी कीमत पर नहीं देंगे और अपनी पार्टी के नेतृत्व में विश्वास रखते हैं। उन्होंने बीजेपी के तरफ से आई धमकियों को नकारा और अपने नेता का समर्थन किया।
यह मुलाकात दिल्ली की राजनीतिक स्थिति में एक महत्वपूर्ण घटना बनी और दिल्ली की जनता को संबोधित करने का एक बड़ा मौका प्रदान किया। इसके माध्यम से, आम आदमी पार्टी के नेताओं ने अपने समर्थकों को मजबूत करने का प्रयास किया और उन्हें यह संदेश दिया कि वे अपने नेता के साथ हैं।