बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बीच नए विवादों की घड़ी चल रही है। जीडीयू और आरजेडी के बीच तलाक का अंदाजा लगभग हो चुका है, और इसी बीच नीतीश कुमार ने एक चाय पार्टी में हुई तेजस्वी की अनुपस्थिति पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। इस मौके पर नीतीश कुमार ने कहा, ‘जो नहीं आए उनसे पूछिए, ये सवाल।’
राजभवन में हुई गवर्नर की चाय पार्टी में तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति ने नीतीश कुमार को चुनौती देने का कारण बना रहा है। नीतीश कुमार ने इस पर रिएक्ट करते हुए कहा कि जो नहीं आए, उनसे पूछिए इस बारे में। यह बयान दिखाता है कि बीजेपी और जेडीयू के बीच समझौते में दरारें आ रही हैं और इससे हुए विवाद की वजह से तेजस्वी ने चाय पार्टी में शामिल नहीं होने का फैसला किया है।
बिहार में राजनीतिक दाल-बाल में तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बीच तनातनी बढ़ रही है। इसके बावजूद, आरजेडी और जेडीयू के बीच समझौता बरकरार रहा है, जिसमें दोनों पार्टियाँ साथ में 100-100 सीटें लड़ेंगी और बीजेपी को 43 सीटें मिलेंगी। इस गठबंधन की वजह से तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बीच बढ़ रहे तनाव का समाधान नहीं हो पा रहा है, और इसका असर उनके एक आम कार्यक्रम पर भी हो रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार के बयान ने दिखाया है कि उनकी तमाम कोशिशों के बावजूद तेजस्वी यादव और उनके समर्थन में कई बार्चे कार्यक्रमों में हुई अनुपस्थिति का विरोध कर रहे हैं। इससे उनके बीच में दरारें बढ़ रही हैं और यह राजनीतिक संगीत में नए तालमेल की संकेत भी हो सकती हैं।
इसी बीच, आरजेडी और जेडीयू के बीच समझौते के बावजूद, आरजेडी ने भी अपनी संभावनाओं को बढ़ाने के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। लालू प्रसाद यादव की नेतृत्व में आरजेडी ने लोकसभा और असेंबली चुनाव में सहयोग बढ़ाने के लिए कई कदम उठा रखे हैं और वह उम्मीद कर रहे हैं कि उनका संगठन बिहार में एक बड़ी भूमिका निभाएगा।
इसी बीच, बीजेपी ने भी अपने प्रदेश कार्यकारिणी बैठक में नेताओं के साथ बिहार में आगामी चुनावों की रणनीति को लेकर चर्चा की है। इस चर्चा में बीजेपी ने उन सभी मुद्दों पर विचार किया है जो उन्हें चुनावों में सफलता दिलाने की दिशा में मदद कर सकते हैं।
इस तरह, बिहार की राजनीति में नए रंग बढ़ रहे हैं और चुनाव से पहले ही राजनीतिक दल अपनी रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। इस संदर्भ में, नीतीश कुमार के बयान ने दिखाया है कि बीजेपी और जेडीयू के बीच तनातनी बढ़ रही है और यह राजनीतिक स्थिति में और भी जटिलता उत्पन्न कर सकती है।