1 फरवरी को भारतीय संसद में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा देश का बजट पेश किया जाएगा। यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट होगा, जिसमें संभावना है कि कोई बड़े ऐलान नहीं किए जाएंगे। लेकिन इस साल की बजट सीजन की एक खासियत है, जो हर बार की तरह हलवा सेरेमनी के साथ शुरू होगी।
हलवा सेरेमनी का मतलब और प्राचीन परंपरा
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हलवा सेरेमनी की परंपरा आजादी से पहले से चली आ रही है। इस अद्वितीय रीति के अनुसार, बजट की तैयारियों के समाप्त होने के बाद, वित्तमंत्री सीतारमण बड़ी सी कढ़ाही में हलवा बनाती हैं। इसे “हलवा सेरेमनी” कहा जाता है और इसमें वित्तमंत्रालय के सभी अधिकारी और कर्मचारी शामिल होते हैं।
कढ़ाही में हलवा बनाने का रहस्य
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हलवा सेरेमनी में, वित्तमंत्री सीतारमण बड़ी कढ़ाही में ब्राउन स्गर की ताकत से हलवा बनाती हैं। यह रीति दशकों से चली आ रही है और उसे एक पौराणिक महत्व दिया जाता है।
सीजन की शुरुआत: बजट की छपाई
बजट सीजन की शुरुआत हलवा सेरेमनी के साथ होती है। हलवा बनने के बाद, बजट की छपाई शुरू की जाती है, और इसमें सभी कर्मचारी और अधिकारी शामिल होते हैं। इसके बाद, वित्तमंत्री का बजट पेश किया जाता है।
कर्मचारी की बंदिश: 10 दिनों तक नॉर्थ ब्लॉक में
हलवा सेरेमनी के बाद, वित्तमंत्रालय के 100 से ज्यादा कर्मचारी करीब 10 दिन तक नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में बंद रहते हैं। उन्हें वहां से बाहर जाने की परमिशन नहीं होती है, ताकि कोई भी बजट से जुड़ी जानकारी पहले लीक न हो।
मीठा खाना: बजट से पहले की शुभ प्रक्रिया
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हलवा सेरेमनी का अर्थ है कि वित्तमंत्री और उनके साथी बजट सीजन की शुरुआत मीठे स्वाद के साथ करते हैं। मीठा खाना भारतीय संस्कृति में शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक है, और इससे यह सिद्ध होता है कि बजट पेश करने की प्रक्रिया भी शुभ रहे।
इस प्रतिष्ठानपूर्ण परंपरा के द्वारा, हमें दिखता है कि बजट सीजन का आगाज़ न केवल आंकड़ों और नीतियों से होता है, बल्कि इसमें भारतीय संस्कृति और परंपरा का भी महत्वपूर्ण स्थान है।