लोकसभा चुनाव के पहले चरण में वोटिंग के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में वोटिंग के कुछ मामले सामने आए हैं जो विभिन्न कारणों के कारण विवादित हो गए हैं। एक ऐसा मामला मध्य प्रदेश के सीधी जिले के गांव मेडरा का है, जहां ग्रामीणों ने नेटवर्क की समस्या के कारण मतदान का बहिष्कार कर दिया है।
गांव मेडरा, जो करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित है। इस क्षेत्र में लगभग 30 सालों से भी ज्यादा समय से नेटवर्क की समस्या है। इस गांव में कभी भी मोबाइल नेटवर्क नहीं आया है, जिससे ग्रामीण लोगों को अपने आधारिक अधिकारों का प्रयोग करने में कठिनाई होती है। इस समस्या के समाधान के लिए गांव के निवासियों ने कई बार प्रशासनिक अधिकारियों को अपनी समस्या का समाधान करने के लिए आवेदन किया है, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

गांव के सरपंच और ग्रामीण लोगों ने नेटवर्क की समस्या के समाधान के बजाय, अब वोटिंग का बहिष्कार कर दिया है। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें इस समस्या का समाधान नहीं मिलता है, तो वह वोटिंग में भाग नहीं लेंगे। यह उनका एक प्रयास है ताकि समस्या का समाधान हो सके और उन्हें भी अपने आधारिक अधिकारों का प्रयोग करने का मौका मिले।
इस समस्या को लेकर सीधी कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी ने भी यह पुष्टि की है कि गांव मेडरा में कुछ अपरिहार्य कारणों की वजह से वोटिंग रोकी गई है, लेकिन प्रशासन की टीम वहां पहुंच गई है और लोगों से बातचीत चल रही है।

दूसरी ओर, चुनावी प्रक्रिया के फर्स्ट फेज में अन्य क्षेत्रों में वोटिंग की भारी रौनक देखने को मिल रही है। यूपी, बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, एमपी, तमिलनाडु और उत्तराखंड जैसे राज्यों में लोगों का उत्साह देखने को मिल रहा है। इन राज्यों में सुबह 10 बजे तक करीब 17 करोड़ वोटर्स अपने मताधिकार का प्रयोग कर चुके हैं। यह दिखाता है कि लोगों में चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने की भावना बहुत ही उत्साही है।सुबह 10 बजे तक बंपर वोटिंग हुई है। करीब 14 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं ने अब तक मताधिकार का प्रयोग कर लिया है। अगर बात यूपी में 15%,बिहार में 12 %, बंगाल में 18 प्रतिशत और महाराष्ट्र में 10% वोटिंग हो चुकी है। राजस्थान में अब तक 15%,एमपी में 17% वोटर्स वोट डाल चुके हैं। तमिलनाडु में 12% और उत्तराखंड-असम में 14-14 प्रतिशत मतदान हुआ है ।
अब, प्रशासनिक अधिकारियों को गांव मेडरा की समस्या का त्वरित समाधान करने की जरूरत है ताकि वहां के लोग भी अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें और लोकतंत्र में भागीदारी कर सकें। इससे न केवल गांव मेडरा के लोगों को उनके आधारिक अधिकारों का लाभ मिलेगा, बल्कि यह लोकतंत्र की मजबूती के लिए भी एक प्रेरणास्त्रोत बनेगा।