क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश है कि दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है,? अगर नहीं जानते तो कोई बात नही, आज मैं आपको पूरी कहानी बताऊँगा।
दशहरा और भगवान राम:- दुर्गा पूजा के दसवें दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। सभी लोग इस पर्व को रावण का पुतला जलाकर और पटाखे जलाकर मनाते है। इसलिए दुर्गा पूजा के दसवें दिन को दशहरा का दिन भी माना जाता है। नवरात्रि का अर्थ है नौ रातें। दसवें दिन को विजयदशमी के नाम से जाना जाता है।
यह वह दिन है, जिस दिन देवी दुर्गा ने नौ दिनों और नौ रातों के युद्ध के बाद, राक्षस पर विजय प्राप्त की थी। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई के विजय का प्रतीक है। माँ दुर्गा सती का अवतार थी। जो हिमालय और मेनका की पुत्री थी। बाद में मां दुर्गा का विवाह शिव से हुआ था। मां दुर्गा के कारण, सभी लोगों को राक्षस से छुटकारा मिला था। इसलिए सभी लोग, मां दुर्गा की श्रद्धा से पूजा करते हैं।
माँ दुर्गा की पूजा :- भारत विश्व का एक ऐसा देश है, जहां पर सभी देवी देवताओं को विशेष महत्व दिया जाता है। और सभी का सम्मान किया जाता है। दुर्गा पूजा का दिन, भारत में विशेष महत्व रखता है। इस दिन प्राचीन भारत की संस्कृति और रीती रिवाज लोगों में देखने को मिलते हैं। दुर्गा पूजा का पर्व भारत के अलावा नेपाल और बांग्लादेश में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व लोगों की स्थानीय परम्परा और विश्वास के अनुसार मनाया जाता है। ये त्यौहार अश्विन महीने के शुरू के दस दिनों में मनाया जाता है। दुर्गा मां की पूजा षष्ठी से दशमी तक होती है। आखिरी दिन देवी दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। इसके पीछे लोगों का मानना है कि उन्हें दुर्गा मां का पूरा आशिर्वाद और नई ताकत मिलती है। सभी लोग नाकारात्मक प्रभाव से दूर रहते हैं और उन्हें एक शांति पूर्ण जीवन मिलता है। दुर्गा पूजा का पर्व अनीति, तामसिक शक्तियों और अत्याचार के नास का प्रतीक है।