18वीं लोकसभा के गठन में इस बार 280 नए चेहरे शामिल हुए हैं जो पहली बार संसद के निचले सदन में कदम रख रहे हैं। यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है क्योंकि विभिन्न क्षेत्रों से आए ये नए सांसद जनता की अपेक्षाओं और जरूरतों को नए दृष्टिकोण और ऊर्जा के साथ सदन में प्रस्तुत करेंगे।
उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक नए सांसद
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उत्तर प्रदेश से 80 सदस्य लोकसभा के लिए चुने जाते हैं, जिसमें से इस बार 45 सदस्य पहली बार संसद में पहुंचे हैं। इनमें कुछ प्रमुख नाम जैसे अरुण गोविल, जिन्होंने लोकप्रिय टीवी सीरियल “रामायण” में भगवान राम की भूमिका निभाई थी, और चंद्रशेखर आजाद, दलित अधिकार कार्यकर्ता एवं आजाद समाज पार्टी के नेता, शामिल हैं। ये नए चेहरे न केवल राजनीतिक रूप से विविध पृष्ठभूमि से आते हैं बल्कि समाज के विभिन्न हिस्सों का प्रतिनिधित्व भी करते हैं।
महाराष्ट्र से नए चेहरे
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महाराष्ट्र से 33 नए सांसद लोकसभा में पहुंचे हैं। इनमें स्कूल टीचर भास्कर भागरे, पीयूष गोयल, कांग्रेस नेता बलवंत वानखेड़े और अनूप धोत्रे जैसे नाम शामिल हैं। यह दिखाता है कि कैसे विभिन्न पेशों से लोग राजनीति में आकर अपने राज्य और देश की सेवा करने के लिए तैयार हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री और अभिनेता
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इस बार लोकसभा में पहली बार प्रवेश करने वाले पूर्व मुख्यमंत्रियों की भी एक लंबी सूची है। इनमें नारायण राणे, त्रिवेंद्र सिंह रावत, मनोहर लाल, बिप्लब कुमार देब, जीतन राम मांझी, बसवराज बोम्मई, जगदीश शेट्टार और चरणजीत सिंह चन्नी शामिल हैं। इन अनुभवी नेताओं का लोकसभा में आना निश्चित रूप से राजनीतिक अनुभव और नेतृत्व में वृद्धि करेगा।
इसके अलावा, फिल्मी दुनिया से जुड़े सुरेश गोपी और कंगना रनौत भी इस बार लोकसभा के सदस्य बने हैं। सुरेश गोपी ने केरल की त्रिशूर सीट से और कंगना रनौत ने हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट से चुनाव जीता है। इनका राजनीति में आना यह दर्शाता है कि मनोरंजन उद्योग के लोग भी राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए आगे आ रहे हैं।
पूर्व जज और राजपरिवार के सदस्य
कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व जज अभिजीत गंगोपाध्याय, जिन्होंने पश्चिम बंगाल की तालमुक सीट से जीत हासिल की है, भी पहली बार सांसद बने हैं। उनके साथ, पूर्व राजपरिवारों के सदस्य जैसे छत्रपति शाहू (कोल्हापुर), यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार (मैसूर) और कृति देवी देबबर्मन (त्रिपुरा पूर्व) भी शामिल हैं।
राज्यसभा से लोकसभा
राज्यसभा के कई सदस्य जैसे अनिल देसाई (शिवसेना UBT), भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान, मनसुख मांडविया और पुरषोत्तम रूपाला भी इस बार पहली बार लोकसभा के सदस्य बने हैं। ये सदस्य पहले से ही उच्च सदन में काम कर चुके हैं और उनकी अनुभवशीलता निचले सदन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
विविधता और चुनौती
यह नया समूह विविधताओं से भरपूर है, जिसमें विभिन्न पेशे, अनुभव और सामाजिक पृष्ठभूमियों से आए लोग शामिल हैं। यह भारतीय लोकतंत्र के विविधता और समावेशिता के सिद्धांत को मजबूत करता है। नए सांसदों को अब अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए जनता की समस्याओं का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
चुनौतियाँ और अपेक्षाएँ
इन नए सांसदों के सामने कई चुनौतियाँ होंगी। उन्हें न केवल अपनी चुनावी वादों को पूरा करना होगा बल्कि संसदीय कार्यों में भी दक्षता दिखानी होगी। इसके साथ ही, इन सांसदों से जनता की अपेक्षाएँ भी बहुत अधिक होंगी। उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों के विकास के लिए सक्रियता से काम करना होगा और राष्ट्रीय मुद्दों पर भी सजग रहना होगा।
18वीं लोकसभा में 280 नए सांसदों का प्रवेश भारतीय लोकतंत्र के लिए एक नई उम्मीद और अवसर का प्रतीक है। इन नए चेहरों से जनता को बहुत अपेक्षाएँ हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि वे किस प्रकार से इन अपेक्षाओं को पूरा करते हैं। उनके अनुभव, ऊर्जा और नये विचार निश्चित रूप से भारतीय राजनीति को एक नई दिशा देंगे।