लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान चुनाव आयोग की निष्पक्षता को लेकर सोशल मीडिया पर एक नई बहस छिड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान के बाद एक शख्स ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पुराने न्यूजपेपर के कटआउट शेयर करते हुए कांग्रेस के समय में चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। आइए, जानते हैं इस पूरे मामले की विस्तृत जानकारी और इसकी पृष्ठभूमि।
प्रधानमंत्री मोदी का बयान
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने India TV के कार्यक्रम ‘सलाम इंडिया’ में रजत शर्मा के सवालों का जवाब देते हुए कांग्रेस शासन के दौरान चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे। उन्होंने विशेष रूप से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद चुनाव स्थगित करने के फैसले पर सवाल खड़ा किया। प्रधानमंत्री ने यह इशारा किया कि चुनाव आयोग ने उस समय कांग्रेस पार्टी के पक्ष में निर्णय लिया था, जिससे कांग्रेस को लाभ हुआ।
सोशल मीडिया पर बहस
प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद, सोशल मीडिया पर चुनाव आयोग की निष्पक्षता को लेकर बहस शुरू हो गई। अखिलेश मिश्रा नाम के एक यूजर ने एक्स पर तीन ट्वीट्स करते हुए पुराने न्यूजपेपर के कटआउट शेयर किए। उन्होंने लिखा कि चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, अगर चुनाव के दौरान किसी उम्मीदवार की मृत्यु हो जाती है, तो उस विशेष सीट पर चुनाव रद्द कर दिया जाता है और बाद की तारीख में चुनाव कराया जाता है। लेकिन 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद पूरा चुनाव तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया था।
सात मुख्यमंत्रियों का विरोध
अखिलेश मिश्रा ने बताया कि कम से कम सात मुख्यमंत्रियों ने चुनाव स्थगित करने का कड़ा विरोध किया था। कई लोगों ने इसे लोकतंत्र और संविधान की हत्या बताया। उस समय के मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एन. शेषन ने पूरी तरह से मनमाने ढंग से कार्रवाई करते हुए चुनाव स्थगित कर दिए थे। मिश्रा ने यह भी लिखा कि इन तीन हफ्तों का उपयोग कांग्रेस पार्टी ने सहानुभूति वोट पाने के लिए किया। राजीव गांधी की हत्या से पहले, कांग्रेस पूरी तरह से खत्म होने की ओर बढ़ रही थी। लेकिन तीन सप्ताह के स्थगन का उपयोग कांग्रेस पार्टी द्वारा जुलूस निकालने और सहानुभूति वोट पाने के लिए किया गया।
कांग्रेस को मिला फायदा
अखिलेश मिश्रा ने लिखा कि इन तीन हफ्तों के दौरान कांग्रेस ने राजीव गांधी की हत्या का सहानुभूति वोट पाने के लिए भरपूर उपयोग किया। विज्ञापनों में सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी का उपयोग किया गया, अंतिम संस्कार यात्राएं निकाली गईं और सहानुभूति वोट पाने के लिए हर संभव प्रयास किया गया। इस सभी कारणों से चुनाव परिणाम पूरी तरह से बदल गए।
शेषन को कांग्रेस ने दिया इनाम
मिश्रा ने अपने ट्वीट में यह भी उल्लेख किया कि बाद में शेषन को कांग्रेस ने इनाम दिया और उन्हें लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ कांग्रेस का उम्मीदवार भी बनाया गया। कई अन्य मुख्य चुनाव आयुक्त भी इसी तरह कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रभावित किए गए थे। राजीव गांधी की हत्या से पहले संसद त्रिशंकु विधानसभा की ओर बढ़ रही थी और कांग्रेस हार की ओर बढ़ रही थी, लेकिन हत्या के बाद कांग्रेस को प्रचार करने और सहानुभूति वोट पाने के लिए तीन सप्ताह का समय मिला, जिससे चुनाव परिणाम बदल गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान और सोशल मीडिया पर उठे सवालों ने एक बार फिर से चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर बहस छेड़ दी है। चुनाव आयोग का काम हमेशा निष्पक्ष और स्वतंत्र रहना चाहिए, ताकि लोकतंत्र की जड़ें मजबूत बनी रहें। इस मामले में जनता का विश्वास चुनाव आयोग की साख पर निर्भर करता है। वर्तमान चुनावी परिदृश्य में यह महत्वपूर्ण है कि चुनाव आयोग निष्पक्षता बनाए रखते हुए स्वतंत्र रूप से काम करे, ताकि हर मतदाता को अपने मताधिकार का सही उपयोग करने का अवसर मिल सके।
इस बहस के माध्यम से यह स्पष्ट हो जाता है कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर किसी भी प्रकार का संदेह लोकतंत्र के लिए खतरा हो सकता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि चुनाव आयोग अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूर्णत: निष्पक्षता और स्वतंत्रता से करे, ताकि देश का लोकतंत्र सुरक्षित और मजबूत बना रहे।