बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव, केके पाठक, को लेकर हाल ही में एक अजीब मामला सामने आया है। इस मामले में सोशल मीडिया पर उनके इस्तीफे की खबर वायरल हो रही थी, जिसका सच्चाई में जांच की गई है।
केके पाठक की अवकाश पर होने वाली उलझन
केके पाठक, जो बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव हैं, वर्तमान में अवकाश पर हैं और उनकी जिम्मेदारी सरकार ने दूसरे अधिकारी को सौंप दी है। इस दौरान, एक खबर सोशल मीडिया पर वायरल हुई कि केके पाठक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
वायरल खबर की सत्यता पर आए सवाल
यह खबर सोशल मीडिया पर इतनी तेजी से वायरल हो गई कि इसकी सत्यता पर सवाल उठने लगे। इस पर सरकारी पत्र भी सोशल मीडिया पर साझा हुआ, जिससे और उलझनें बढ़ गईं।
सरकारी पत्र का विवाद
विवाद इस सरकारी पत्र से उठा, जिसमें इस इस्तीफे की खबर की पुष्टि होने का दावा किया गया था। इसे लेकर गुरुवार को हड़ताली से जुड़ी अफवाहें फैलाई गईं, जिससे खबर में और भी उलझनें उत्पन्न हुईं।
सच्चाई का पता चलने पर सवाल उठा
सच्चाई का पता चलने पर, जब सरकारी सूत्रों से जानकारी मिली, तो पता चला कि यह खबर पूरी तरह से गलत है। इस्तीफा देने की कोई बात नहीं है और इस पत्र का वायरल होना एक भ्रांति है।
केके पाठक के बदले अन्य अधिकारी दबे गए
केके पाठक ने 9 जनवरी को अवकाश पर जाने का निर्णय लिया था और उनकी छुट्टी जनवरी के 16 तारीख तक है। उनके अवकाश पर जाने के बाद, सरकार ने उनकी जिम्मेदारी को दूसरे अधिकारी को सौंप दी है, जिससे केके पाठक के बजाय उनके स्थान पर एक अन्य अधिकारी कार्य कर रहा है।
सरकारी नियमों के अनुसार कार्रवाई
इस मामले में सरकारी नियमों के अनुसार, जब एक अधिकारी अवकाश पर जाता है, तो उसे अपने पद का परित्याग करने के लिए फॉर्म भरना होता है। यह फॉर्म उसके अवकाश की अवधि तक ही सक्रिय रहता है। फिर, जब अधिकारी अवकाश से वापस लौटता है, तो वह फिर से पद संभालने के लिए आवेदन करता है। इस दौरान, पद पर कोई और अधिकारी कार्य करता है।
उलझनें और सवालों का सामना
इस मामले में उलझनें बढ़ गई हैं और सवालों की ओर सरकार देख रही है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर गूंथे जा रहे दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने केके पाठक की गहरी छाप छोड़ दी है। वह इस मुद्दे का स्पष्टीकरण करने की कड़ी मेहनत कर रहे हैं और उन्हें सार्वजनिक तौर पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है।
नए अधिकारी का भी बड़ा बदलाव
केके पाठक के अवकाश पर होने वाले इस विवाद के बावजूद, उन्होंने अपने विभाग में बड़े बदलाव किए हैं और सरकारी स्कूलों में अनुशासन को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। नए शिक्षकों की नियुक्ति होने के बाद, उन्होंने समय समय पर ड्यूटी कराई जा रही है और स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रयासरत हैं। इसके साथ ही, बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की स्थिति में सुधार के लिए उन्होंने निरंतर निरीक्षण भी करवाया है।
समाप्त होने वाले अवकाश पर वापसी के बाद नए पद संभालने की कड़ी मेहनत
केके पाठक को यहां से 16 जनवरी के बाद अपने पद पर वापस लौटकर नए पद संभालने के लिए फॉर्म 202 भरना होगा, जो सरकारी नियमों के अनुसार किया जाएगा। वह इस अवसर पर भी विभाग के सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और उन्हें यह स्थिति सीधे तौर पर स्वीकार करने के बाद भी उन्होंने अधिकारियों की और से चुप्पी तोड़ी है।