भारतीय राजनीति में हो रहे घटनाक्रमों में से एक, महुआ मोइत्रा के खिलाफ शिकायत और उनकी सदस्यता रद्द होने की घटना, ने राजनीतिक गलियारों को हलचल में डाल दिया है। बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ 15 अक्टूबर को शिकायत की थी, जिसमें उन्हें पैसे लेने, सवाल पूछने के बदले और लोकसभा सांसद की लॉग-इन ID और पासवर्ड बाहरी व्यक्ति को शेयर करने का आरोप लगाया गया था।
इस मामले में होने वाली पैरेलल विवादों की रौंगत बढ़ती जा रही है, और यह राजनीतिक दलों के बीच खींचतान को भी बढ़ा रही है। महुआ मोइत्रा ने अपनी निलंबन के बाद स्वयं को दुर्गा के रूप में बताया और इस घड़बड़ाहट में एक तरफा न्याय का मामला बनाते हुए कहा कि उन्हें जवाब देने का मौका नहीं मिला और सांसदी रद्द होने का निर्णय एकतरफा है।
इसके पीछे की कहानी को समझने के लिए हमें यह जानना महत्वपूर्ण है कि महुआ मोइत्रा से क्या गलती हुई और कैसे इस मुद्दे ने राजनीतिक सीने में इतनी हलचल मचा दी।
गिफ्ट लेने का आरोप: महुआ मोइत्रा पर लगातार आरोप है कि उन्होंने संसद में सवाल पूछने के बदले कई उद्योगपतियों से महंगे गिफ्ट लिए थे। लॉग-इन ID और पासवर्ड शेयर करने का आरोप: सांसद निशिकांत दूबे ने उन पर ये भी आरोप लगाया है कि उन्होंने सरकार लॉग-इन ID और पासवर्ड बाहरी लोगों से शेयर किए थे।
सांसदी रद्द करने का फैसला: लोकसभा की एथिक्स कमिटी ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ आरोपों की जांच की और सदस्यता रद्द करने का सुझाव दिया। जिसे लोकसभा में मंजूर कर लिया गया।
महुआ मोइत्रा ने इस मुद्दे पर अपने आप को बचाने के लिए सख्त रूप से उत्तर दिया है। उन्होंने यह दावा किया है कि उन्हें जवाब देने का मौका नहीं मिला और आरोपों का कोई सबूत नहीं है। साथ ही, उन्होंने पासवर्ड शेयरिंग को लेकर कोई नियम नहीं है, और उस पर आरोप लगाना उचित नहीं है।महुआ मोइत्रा ने इस फैसले का खूबसूरती से मुकाबला किया और कहा कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है. उन्होंने कहा कि एथिक्स कमेटी को कोई सबूत नहीं मिला और नियमों की अनदेखी की गई है. उन्होंने यह भी कहा कि पासवर्ड शेयरिंग को लेकर कोई नियम नहीं है, और इस पर कार्रवाई करना उचित नहीं है.
इस मामले ने राजनीतिक दलों के बीच आपसी टकराव को भी बढ़ा दिया है। विपक्ष महुआ मोइत्रा के साथ खड़ा हो रहा है और सरकार को इसके खिलाफ जवाब देने की मांग कर रहा है।
इस सभी विवाद के बावजूद, महुआ मोइत्रा ने कहा है कि वह इसके खिलाफ लड़ती रहेगी और उन्होंने यह भी जताया है कि उनका नाम बिना सबूतों के बदनाम किया जा रहा है।
महुआ मोइत्रा को लोकसभा सांसदी से हटा जाने का मुख्य कारण कैश फॉर क्वेरी विवाद है. इसमें उसे यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने सरकारी लॉग-इन ID और पासवर्ड बाहरी व्यक्ति के साथ शेयर किए हैं. इसके बाद से ही इस मामले में गहरा विवाद हो गया और निशिकांत दूबे ने शिकायत की.
विवाद के बाद लोकसभा की एथिक्स कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पेश की. जिसके बाद मामला सदन में उठा और फिर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ प्रस्ताव रखा, जिसे लोकसभा में मंजूर कर लिया गया.
महुआ मोइत्रा ने रिपोर्ट के बाद अपनी नाराजगी जताई और कहा कि इससे उनको जवाब देने का मौका नहीं मिला. उन्होंने यह भी आशंका जताई कि अब CBI उनके घर पहुंच सकती है. इसके साथ ही उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह एकतरफा फैसला है और उन्हें जवाब देने का मौका नहीं दिया गया.
यह मामला सिर्फ कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि राजनीतिक संघर्ष का भी हिस्सा बन गया है. विपक्ष महुआ मोइत्रा के साथ खड़ा हो रहा है और सरकार को इस फैसले पर जवाब देने का आरोप लगा रहा है. एक ओर तो बीजेपी महुआ को करप्शन और नाकारात्मकता के आरोपों में फंसाना चाह रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष महुआ का समर्थन कर रहा है.
इस तरह से महुआ मोइत्रा की सांसदी को रद्द करने का मामला नागरिकों के बीच चर्चा का केंद्र बन गया है. कुछ लोग इसे राजनीतिक खेल का हिस्सा मान रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसे एक सांसद की ईमानदारी और नैतिकता की जंग मान रहे हैं. इसका असर सीधे रूप से राजनीतिक माहौल पर होने की संभावना है और इससे आनेवाले समय में और भी राजनीतिक हलचल हो सकती है.
यह घटना सिर्फ एक सांसद के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह एक पूरे देश को बहुतंत्री में डालने का प्रयास भी है। कैसे इस मुद्दे का समाधान होगा, और कैसे इससे राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव होगा, यह आगे के दिनों में ही स्पष्ट होगा।