बिहार के चौथे चरण के लोकसभा चुनावों में सियासी दलों ने अपनी पूरी ताकत को झोंक दिया है। इस चरण में पांच सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर सभी पक्षों ने अपनी रणनीतियों को बढ़ावा दिया है। विशेष रूप से, जदयू और भाजपा के लिए इस चरण में सीटों को बरकरार रखने की चुनौती है।
चौथे चरण के चुनावों में बिहार के दरभंगा, बेगूसराय, मुंगेर, समस्तीपुर, और उजियारपुर लोकसभा क्षेत्रों में मतदान होगा। ये सभी सीटें राजनीतिक रूप से दिलचस्प हैं और पिछले कुछ आम चुनावों में भाजपा के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है।
इनमें से एक सीट, बेगूसराय, देशभर में ध्यान केंद्रित की गई है। यहां पर भाजपा के गिरिराज सिंह और महागठबंधन के अवधेश राय के बीच मुकाबला होगा। बेगूसराय सीट पर पिछले चुनावों में भाजपा ने अपनी जीत का परिचय किया है। इस बार भी, इस सीट पर राजनीतिक संघर्ष ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।
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उजियारपुर सीट पर भी दो बड़े नेताओं के बीच महत्वपूर्ण मुकाबला है। यहां भाजपा के नित्यानंद राय और राजद के आलोक मेहता के बीच मतदान होगा। उजियारपुर सीट पर भी पिछले चुनावों में भाजपा ने अपनी जीत का परिचय किया है और इस बार भी वह अपनी सामर्थ्य को दिखाने के लिए प्रतिष्ठात्मक नेताओं को उतारा है।
दरभंगा सीट पर भी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संघर्ष देखने को मिलेगा। यहां भाजपा के गोपालजी ठाकुर और राजद के ललित यादव के बीच मतदान होगा। पिछले चुनावों में भी दरभंगा सीट पर भाजपा ने अपनी जीत का प्रदर्शन किया है और इस बार भी वह अपनी स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिष्ठात्मक नेता को मुख्य प्रतियोगी के रूप में चुना है।
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मुंगेर सीट पर भी एक महत्वपूर्ण चुनाव होगा, जहां भाजपा के ललन सिंह को राजनीतिक दलों की भागीदारी के साथ-साथ सामाजिक उपाध्यक्ष के रूप में प्रतिष्ठा के सवाल का सामना करना होगा। इस सीट पर राजनी
तिक दलों के बीच टकराव होगा, जिसमें उन्हें नीतिगत और राजनीतिक मुद्दों पर विचार करना होगा।समस्तीपुर सीट पर भी एक महत्वपूर्ण चुनाव है, जहां लोजपा के प्रतिष्ठात्म नेता शांभवी चौधरी को कांग्रेस के सन्नी हजारी के खिलाफ मुकाबला करना होगा। यहां भी राजनीतिक दलों के बीच एक चुनौतीपूर्ण मतदान होगा, जिसमें उन्हें लोककला, जातिगत मुद्दे और राजनीतिक दलों की प्रतियोगिता को ध्यान में रखना होगा।
इस तरह, बिहार के चौथे चरण के चुनावों में सभी पार्टियों ने अपनी ताकत को दिखाने का प्रयास किया है और मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास किया है। यहां पर राजनीतिक दलों की बीच मजबूत मतभेद होने की संभावना है, जो बिहार के राजनीतिक स्क्रीन पर एक महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकता है।