2024 के लोकसभा चुनावों के परिणामों के बाद भारतीय राजनीति एक नए मोड़ पर आ खड़ी हुई है। एनडीए ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बार फिर सरकार बनाने की तैयारी कर ली है। हालांकि, इस बार स्थिति थोड़ी अलग है। बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने में असफल रही, लेकिन एनडीए के सहयोगियों ने साथ देकर सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त किया।
एनडीए की बैठक और मोदी की नियुक्ति
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एनडीए की बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निवास स्थान, 7 लोक कल्याण मार्ग पर आयोजित की गई। इस बैठक में सभी सहयोगी दलों ने सर्वसम्मति से नरेंद्र मोदी को संसदीय दल का नेता चुना। यह निर्णय भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है, क्योंकि इससे स्पष्ट हो गया कि एनडीए एकजुट है और सरकार बनाने के लिए तैयार है।
साझा बयान और आगामी दिशा
एनडीए की बैठक के बाद एक साझा बयान जारी किया गया जिसमें यह कहा गया कि भारत के 140 करोड़ देशवासियों ने पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों से देश को हर क्षेत्र में विकसित होते देखा है। बयान में यह भी कहा गया कि लगभग छह दशक के बाद भारत की जनता ने लगातार तीसरी बार पूर्ण बहुमत से सशक्त नेतृत्व को चुना है।
मोदी की नेतृत्व में विश्वास
एनडीए के सभी नेताओं ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्वास व्यक्त किया और उन्हें सर्वसम्मति से अपना नेता चुना। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने भारत के गरीब, महिला, युवा, किसान और शोषित, वंचित व पीड़ित नागरिकों की सेवा करने का संकल्प लिया है। इसके साथ ही, भारत की विरासत को संरक्षित कर देश के सर्वांगीण विकास हेतु एनडीए सरकार ने जन-जन के जीवन स्तर में सुधार लाने का वादा किया है।
प्रमुख नेताओं की उपस्थिति
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इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बिहार के मुख्यमंत्री एवं जेडीयू नेता नीतीश कुमार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एवं शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता एकनाथ शिंदे, टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान, एनसीपी (अजित पवार गुट) से प्रफुल्ल पटेल एवं सुनील तटकरे, अपना दल (एस) से अनुप्रिया पटेल, आरएलडी से जयंत चौधरी, जेडीएस से एचडी कुमारस्वामी, जनसेना पार्टी से पवन कल्याण, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा से जीतन राम मांझी, असम गण परिषद से अतुल बोरा, आजसू से सुदेश महतो, जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव संजय झा सहित एनडीए के अन्य सहयोगी दलों के भी कई नेता मौजूद रहे।
विपक्ष की स्थिति
इस बैठक और इसके परिणामस्वरूप साझा बयान के बाद यह तय हो गया कि इंडिया गठबंधन अब विपक्ष में बैठेगा। एनडीए के नेताओं ने कयासों का दौर समाप्त कर दिया है और अब एनडीए सरकार बनाने के लिए अपना दावा पेश करेगी। विपक्ष को अब नई रणनीतियों और मुद्दों के साथ खुद को तैयार करना होगा ताकि वे सशक्त विपक्ष की भूमिका निभा सकें।
शपथ ग्रहण समारोह
एनडीए की नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 8 जून को होने की संभावना है। इस समारोह के लिए तैयारियां जोरों पर हैं और सभी दल अपने-अपने स्तर पर इस समारोह में भाग लेने के लिए तैयार हो रहे हैं।
भारतीय राजनीति के इस दुर्लभ दौर में, नरेंद्र मोदी की नेतृत्व में एनडीए की सरकार एक बार फिर सत्ता में आने के लिए तैयार है। यह लोकतंत्र की शक्ति है, जहां जनता का निर्णय सर्वोपरि होता है। एनडीए की एकजुटता और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उनका विश्वास उन्हें एक बार फिर से देश की सेवा करने का मौका देगा। विपक्ष को अब इस चुनौतीपूर्ण समय में अपनी भूमिका को पुनः परिभाषित करना होगा और देश की जनता के हित में काम करना होगा।