निगमबोध श्मशान घाट के अनियमितता और अत्यधिक वसूली के मामले में एक नई खोज के दौरान, दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। इस घटना के बारे में तीव्र आरोपों के बाद, नगर निगम (MCD) के अधिकारी के मुताबिक, निगमबोध श्मशान घाट पर कई अवैध गतिविधियां संघटित हो रही थीं।
इस मामले में कहा जा रहा है कि कई गैर-सरकारी संगठन अंतिम संस्कार के बहाने मृतक के परिवार से मोटी रकम वसूल रहे थे, जिससे कि इसके कार्यक्षेत्र को नियंत्रित करने वाले समझौता ज्ञापन या MoU के प्रावधानों का उल्लंघन हुआ।
मेयर ने तत्काल दाह संस्कार के लिए और लकड़ी की चिता के लिए बड़ी रकमों की वसूली की जाने वाली गतिविधियों की जांच का निर्देश दिया है और इसके लिए अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है।
निगमबोध श्मशान घाट, जो दिल्ली-NCR के सबसे पुराने श्मशान घाटों में से एक है, इस घटना के समय से अपने अव्यावसायिक क्रियाकलापों के लिए मशहूर था, जिसने इसे एक नए संवाद में ले आया है।
यह मामला गुरुवार का है जब मेयर निरीक्षण के लिए गई थीं। तभी दिल्ली नगर निगम (MCD) के अधिकारी के मुताबिक, कई गैर सरकारी संगठनों को अंतिम संस्कार के नाम पर मृतक के परिवार से मोटी रकम वसूलते हुए देखा गया, जो इसके कामकाज को नियंत्रित करने वाले समझौता ज्ञापन या MoU के प्रावधानों का उल्लंघन है। अधिकारी ने बताया कि महापौर ने MCD की नाक के नीचे हो रही इन अवैध गतिविधियों पर चर्चा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और निगमबोध घाट की प्रबंध समिति के साथ बैठक की।
इस मामले में एक अधिकारी ने बताया कि कई मामलों में 50 हजार रुपये तक की अतिरिक्त राशि ली गई है, जो एक व्यक्ति के दाह संस्कार के लिए वसूली गई है। इसके साथ ही, लकड़ी की चिता के लिए अतिरिक्त पैसे लेने का भी आरोप है, जिसके लिए लोगों से 15,000 रुपये से 20,000 रुपये तक की राशि मांगी गई।
मेयर की निगाह में यह अवैध गतिविधियां नगर निगम के उद्दीपन और उद्यमिता को बदनाम कर रही हैं, और इसे त्वरित रूप से सुधारने की आवश्यकता है। इस घटना की जांच से सामाजिक न्याय और बेहतर व्यवस्था की दिशा में कदम बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।