विंटर सोल्सटिस, जिसे दिसंबर की संक्रांति भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है जो हर साल 20-23 दिसंबर के बीच होती है। इस दिन को वर्ष का सबसे छोटा दिन माना जाता है और इसे ‘शीतकालीन संक्रांति’ भी कहा जाता है।
शीतकालीन संक्रांति के दौरान सूर्य अपनी दिशा बदलता है और इसके चारों ओर पृथ्वी की कक्षा में मामूली बदलाव होता है। यह कारण है कि इस दिन की रोशनी सबसे कम मानी जाती है और इसे सर्दियों की आधिकारिक शुरुआत के तौर पर भी माना जाता है। लैटिन शब्द ‘सोलस्टिटियम’ से निकला ‘सोल्सटिस’ का अर्थ होता है सूर्य का स्थिर खड़ा होना।
इस दिन सूर्य पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध से सबसे दूर होता है, जिससे इस दिन की रात सबसे लंबी होती है और दिन सबसे छोटा होता है। इसे दक्षिणी संक्रांति भी कहा जाता है, और यह हिंदी कैलेंडर के अनुसार दिसंबर के महीने में होता है।
शीतकालीन संक्रांति का दिन हर साल अलग-अलग होता है, लेकिन इसे अक्सर 22 दिसंबर को ही मनाया जाता है। इस दौरान सूर्य की रोशनी दिन के तुलना में कम होती है और इसका असर दिन छोटे और रातें लंबी होने में दिखता है।
इस खगोलीय घटना का महत्व विभिन्न संस्कृतियों और धार्मिक परंपराओं में भी है, जहां लोग इसे शुभ और महत्वपूर्ण मानते हैं और इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। इससे संबंधित कई रीतियां और उत्सव होते हैं, जो विभिन्न समुदायों द्वारा अपनाए जाते हैं।
विंटर सोल्सटिस एक खास मौका है जब हम पृथ्वी के गति और उसके आस-पास के ब्रह्मांडिक प्रक्रियाओं के प्रति अपनी जागरूकता को बढ़ा सकते हैं, साथ ही स्वयं को प्राकृतिक प्रक्रियाओं के साथ जोड़ सकते हैं।