लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के प्रमुख पशुपति पारस को हाल ही में एक बड़ा झटका लगा है, जिसके तहत उन्हें पटना स्थित पार्टी ऑफिस खाली करना होगा। इस फैसले की मुख्य वजह यह है कि पटना में स्थित पार्टी ऑफिस का आवंटन रद्द कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि लंबे समय से टैक्स जमा नहीं करने के कारण यह कार्रवाई की गई है।
पटना में एलजेपी दफ्तर का आवंटन रद्द
पटना एयरपोर्ट रोड पर स्थित एलजेपी दफ्तर का आवंटन रद्द होने के कारण पार्टी को यह दफ्तर खाली करना होगा। भवन निर्माण विभाग ने टैक्स का भुगतान नहीं किए जाने की वजह से यह आवंटन रद्द किया है। विभाग ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है। इस प्रकार, पशुपति पारस और उनकी पार्टी को यह दफ्तर खाली करना अनिवार्य हो गया है।
18 साल पहले आवंटित हुआ था दफ्तर
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करीब 18 साल पहले, यह ऑफिस रामविलास पासवान की पार्टी को आवंटित किया गया था। रामविलास पासवान के निधन के बाद, पार्टी में चाचा-भतीजे के बीच विवाद हुआ, जिसके बाद पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच पार्टी का विभाजन हुआ। पशुपति पारस की अगुवाई में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का कार्यालय इसी दफ्तर से संचालित हो रहा था।
टैक्स न जमा करने की वजह
इस दफ्तर का आवंटन रद्द होने की मुख्य वजह यह है कि 2019 के बाद से इसे रिन्यू नहीं कराया गया था और इसके बाद से कोई टैक्स भी जमा नहीं किया गया था। पशुपति पारस की पार्टी ने 5 साल से इस जगह से ऑफिस चलाते रहे, बावजूद इसके कि टैक्स जमा नहीं किया गया था। इस कारण, भवन निर्माण विभाग ने दफ्तर का आवंटन रद्द कर दिया है और पार्टी को जल्द ही यह दफ्तर खाली करना पड़ेगा।
राजनीतिक प्रभाव और भविष्य की दिशा
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इस घटनाक्रम का पशुपति पारस और उनकी पार्टी पर बड़ा राजनीतिक प्रभाव पड़ सकता है। पार्टी के प्रमुख कार्यालय का खोना उनके लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। इससे पार्टी के कामकाज पर असर पड़ेगा और उनकी साख पर भी प्रश्न चिन्ह लग सकता है।
पार्टी के सामने चुनौतियाँ
इस घटनाक्रम के बाद, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के सामने कई चुनौतियाँ खड़ी हो गई हैं। पार्टी को नया कार्यालय ढूंढना होगा और इसके लिए उन्हें नए सिरे से तैयारी करनी होगी। साथ ही, पार्टी को अपने वित्तीय प्रबंधन को भी सुदृढ़ बनाना होगा ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े।
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पशुपति पारस और उनकी पार्टी के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। उन्हें न केवल नए दफ्तर की तलाश करनी होगी बल्कि पार्टी के वित्तीय मामलों को भी सही तरीके से प्रबंधित करना होगा। इस प्रकार, यह घटनाक्रम पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
पार्टी को अब अपनी रणनीतियों को पुनः विचार करना होगा और अपने समर्थकों का विश्वास बनाए रखना होगा। इसके साथ ही, पार्टी को यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में इस तरह की प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं से बचा जा सके। पार्टी के सामने यह अवसर है कि वे अपने संगठन को और भी मजबूती से खड़ा करें और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नए तरीके अपनाएं।
इस पूरी घटना से यह स्पष्ट होता है कि राजनीतिक दलों के लिए वित्तीय और प्रशासनिक प्रबंधन कितना महत्वपूर्ण होता है। इसके बिना, किसी भी संगठन को स्थिरता और सफलता प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है। पशुपति पारस और उनकी पार्टी को इस चुनौती को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए और इससे उभरकर और भी मजबूत बनने की कोशिश करनी चाहिए।