प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वाराणसी दौरा एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो उनके तीसरे कार्यकाल में किसानों और धार्मिक गतिविधियों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 18 जून को, पीएम मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक किसान सम्मेलन को संबोधित करेंगे, जिसके बाद वह काशी विश्वनाथ मंदिर जाएंगे और पूजा-अर्चना के साथ गंगा आरती में शामिल होंगे। अगले दिन, 19 जून को, वह बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में शामिल होंगे।
किसान सम्मेलन और किसान सम्मान निधि
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत किसानों के खाते में किसान सम्मान निधि की रकम भेजने के साथ की थी। इस कदम ने किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने का उद्देश्य रखा, जिससे उनके जीवन में स्थिरता और सुधार आ सके। अब, पीएम मोदी वाराणसी में किसान सम्मेलन को संबोधित करेंगे, जिसमें वह किसानों के लिए नई योजनाओं और समर्थन की घोषणाएं कर सकते हैं। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य किसानों की समस्याओं को सुनना और उनके लिए समाधान प्रस्तुत करना है।
काशी विश्वनाथ मंदिर और गंगा आरती
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18 जून की शाम को, पीएम मोदी काशी विश्वनाथ मंदिर जाएंगे, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यहां वे पूजा-अर्चना करेंगे और गंगा आरती में शामिल होंगे। गंगा आरती एक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व की रस्म है, जो वाराणसी के घाटों पर प्रतिदिन शाम को की जाती है। पीएम मोदी का इसमें शामिल होना, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति उनके सम्मान और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
नालंदा विश्वविद्यालय का दौरा
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19 जून को, पीएम मोदी बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में शामिल होंगे। नालंदा विश्वविद्यालय विश्वभर में शिक्षा और अनुसंधान के लिए प्रसिद्ध है। प्रधानमंत्री का यहाँ दौरा इस विश्वविद्यालय के महत्व और भारत की प्राचीन शिक्षा प्रणाली की पुनरूत्थान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
किसानों के प्रति विशेष ध्यान
लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सीटों में कमी को किसान आंदोलन से जोड़ा जा रहा है। पीएम मोदी इस कार्यकाल में किसानों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं, ताकि उनकी समस्याओं का समाधान किया जा सके और उनके जीवन स्तर में सुधार हो सके। यह स्पष्ट है कि पीएम मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री की शपथ लेने के बाद किसानों को प्राथमिकता दी है।
जी7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का संबोधन
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जी7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने भारत को ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने प्रौद्योगिकी में किसी भी देश के एकाधिकार को खत्म करने का आह्वान किया और कहा कि समावेशी समाज की नींव रखने के लिए इसे रचनात्मक बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ के देश दुनिया भर में उपजी अनिश्चितताओं और तनाव का खामियाजा भुगत रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने ग्लोबल साउथ के देशों की प्राथमिकताओं और चिंताओं को विश्व मंच पर रखना अपनी जिम्मेदारी समझा है।
अफ्रीका को उच्च प्राथमिकता
पीएम मोदी ने जी7 शिखर सम्मेलन में अफ्रीका को उच्च प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि भारत की अध्यक्षता में जी-20 ने अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य बनाया। यह कदम भारत की विदेश नीति और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो यह दर्शाता है कि भारत वैश्विक मंच पर अन्य विकासशील देशों के साथ खड़ा है और उनके हितों की रक्षा कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वाराणसी और नालंदा दौरा उनकी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का प्रत्यक्ष उदाहरण है। किसान सम्मेलन, काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना, गंगा आरती में भागीदारी और नालंदा विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में शामिल होकर, पीएम मोदी ने यह स्पष्ट किया है कि वे देश की सांस्कृतिक धरोहर और किसानों के विकास के प्रति पूर्णतः समर्पित हैं। इस दौरे से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत की सरकार न केवल घरेलू मुद्दों पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी अपनी भूमिका को गंभीरता से निभा रही है।