पुतिन के सामने चुनाव लड़ने से कांपती है रूह! यह बात बिल्कुल सही है कि रूस में व्लादिमीर पुतिन की सत्ता पर चुनाव लड़ना किसी के लिए भीड़कर काम है। पुतिन का राजनीतिक शक्तियों को दबाने का तरीका इतना मजबूत है कि अधिकांश लोग उनके खिलाफ उत्साहित होने के बावजूद भी चुनाव में उनकी विजय को नामुमकिन समझते हैं। लेकिन इस बार कुछ उम्मीदवारों ने पुतिन के सामने अपनी हिम्मत दिखाई है।
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पहला उम्मीदवार है व्लादिस्लाव दावानकोव। उन्होंने न्यू पीपल पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए मैदान में हिम्मत दिखाई है। दावानकोव पूर्व बिजनेसमैन हैं और वर्तमान में स्टेट ड्यूमा के उपाध्यक्ष हैं। उन्होंने अपने चुनाव अभियान में यूक्रेन के साथ शांति और बातचीत, प्रेस की आजादी, और पश्चिमी देशों के साथ रूस के संबंधों को सामान्य बनाने की वकालत की है। दावानकोव कहते हैं कि लोग शांतिपूर्ण देश में रहना चाहते हैं और पुतिन के जंग को जारी रखने की मुखालफत करते हैं।
दूसरा उम्मीदवार है लियोनिद स्लटस्की। वे LDPR के प्रमुख हैं और 2000 से स्टेट ड्यूमा के सदस्य हैं। स्लटस्की का नाम कई घोटालों में आया है और उनपर क्रीमिया के कब्जे के समर्थन के लिए पश्चिम देश ने प्रतिबंध भी लगाया था। उन्होंने चुनाव प्रचार में कहा है, “मेरे चुनाव में खड़े होने का मुख्य लक्ष्य युद्ध में रूस को अंतिम और जल्दी जीत दिलाना है।”
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तीसरा उम्मीदवार है निकोलाई खारितोनोव। वे कम्युनिस्ट पार्टी के प्रतिनिधि हैं और चुनाव में सबसे उम्रदराज उम्मीदवार हैं। उन्होंने पेंशन की उम्र कम करना, पेंशन का भुगतान बढ़ाने और बड़े परिवारों का साथ देने जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ा है। उन्होंने वर्ल्ड ट्रेड ऑरगेनाइजेशन, IMF और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से रूस की सदस्यता खत्म करने का भी सुझाव दिया है।
यह तीन उम्मीदवारों ने पुतिन के सामने चुनाव लड़ने की हिम्मत दिखाई है, लेकिन रूस में चुनाव प्रक्रिया और निगरानी की गंभीर समस्याओं के कारण उनकी जीत की संभावनाएं कम हैं। चुनाव प्रक्रिया में निष्पक्षता की कमी, निगरानी की अभाव, और विपक्षी राजनीतिक शक्तियों के प्रति प्रतिबंधों के कारण यह उम्मीदवार चुनाव में पुतिन के सामने बड़ी चुनौती के अवसर पर भी कामयाब नहीं हो पाएंगे।
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अधिकांश लोग यह जानकर ही चुनाव में भाग लेने का फैसला करते हैं कि पुतिन की विजय तय है, लेकिन यह भी सच है कि इन उम्मीदवारों ने कम से कम राजनीतिक प्रक्रिया को सकारात्मक दिशा में बदलने का प्रयास किया है। इससे रूस की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में नई ऊर्जा आ सकती है और लोगों के दिलों में उम्मीद की किरणें जगाई जा सकती हैं।
चुनाव प्रक्रिया में निष्पक्षता और निगरानी की गुणवत्ता के मामले में रूस को और भी सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है। राष्ट्रपति पुतिन ने लोगों से वोट डालने की अपील की है, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि चुनाव प्रक्रिया में स्वतंत्रता और निष्पक्षता हो। यही हमें एक सशक्त और स्वतंत्र लोकतंत्र की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करेगा।