राजस्थान के बारां जिले में हाल ही में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसमें एक शिक्षक दंपति द्वारा किए गए राज कोष के गबन और फर्जीवाड़े के चलते शिक्षा विभाग को 9 करोड़ 31 लाख रुपये की रिकवरी करनी पड़ रही है। यह मामला शिक्षा विभाग के सुन्दलक पीईईओ अनिल गुप्ता द्वारा दर्ज किया गया है, जिसमें शिक्षक विष्णु गर्ग और उनकी पत्नी मंजू गर्ग पर फर्जी शिक्षकों को उनकी जगह पढ़ाने के आरोप लगाए गए हैं।
प्रारंभिक घटना
![](https://sabsetejkhabar.com/wp-content/uploads/2024/06/image_2024_06_19T06_16_50_758Z-1-1024x538.png)
विष्णु गर्ग और मंजू गर्ग का शिक्षा विभाग में योगदान क्रमशः 1996 और 1999 से शुरू हुआ था। दोनों शिक्षक राजकीय प्राथमिक विद्यालय राजपुरा में पदस्थापित थे। लेकिन इसके बजाय, वे खुद शिक्षण का कार्य नहीं करते थे बल्कि उन्होंने डमी शिक्षक रखकर विद्यार्थियों को पढ़ाने का प्रबंध कर रखा था। यह फर्जीवाड़ा 2017 में एक छापेमारी के दौरान उजागर हुआ था। तब केवल उनके इंक्रीमेंट रोककर मामले को शांत कर दिया गया था।
विस्तृत जांच और कार्रवाई
2017 में हुए इस खुलासे के बाद भी शिक्षक दंपति के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हुई थी। लेकिन जब राज्य में भाजपा सरकार बनी, तब शिक्षा विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच प्रक्रिया को तेज कर दिया। सदर थाना पुलिस और शिक्षा विभाग की संयुक्त टीम ने एक बार फिर छापा मारते हुए, उन डमी शिक्षकों को गिरफ्तार किया, जो वास्तविक शिक्षकों की जगह पढ़ा रहे थे। यह गिरफ्तारी होने के बाद, विष्णु गर्ग और मंजू गर्ग फरार हो गए।
वित्तीय अनियमितता
![](https://sabsetejkhabar.com/wp-content/uploads/2024/06/image_2024_06_19T06_17_07_165Z-1024x576.png)
इस मामले में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया था। उन्होंने कहा था कि ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जो पूरे राज्य के लिए एक मिसाल बनेगी। पुलिस ने शिक्षा विभाग से इस दंपति द्वारा उठाए गए रुपयों की जानकारी मांगी, जिसमें सामने आया कि दोनों ने कुल 9 करोड़ 31 लाख 50 हजार 373 रुपये का गबन किया था। इसमें से विष्णु गर्ग ने 4 करोड़ 92 लाख 69 हजार 146 रुपये और मंजू गर्ग ने 4 करोड़ 38 लाख 81 हजार 227 रुपये का गबन किया।
गिरफ्तारी और फरारी
जांच और छापेमारी के दौरान, पुलिस ने उन तीन डमी शिक्षकों को भी गिरफ्तार किया, जो इस दंपति की जगह पढ़ा रहे थे। लेकिन विष्णु गर्ग और मंजू गर्ग, गिरफ्तारी के डर से फरार हो गए और अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। इस घटना ने शिक्षा विभाग में बड़ी हड़कंप मचा दी है और प्रशासनिक हलकों में भी चर्चा का विषय बनी हुई है।
प्रशासनिक प्रतिक्रियाएं
शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी पीयूष कुमार शर्मा ने बताया कि इस मामले की जांच डायरेक्टरेट स्तर पर चल रही थी, लेकिन उन्होंने जांच की पूर्णता की जानकारी नहीं होने की बात कही। वहीं, शिक्षा मंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है।
भविष्य की संभावना
![](https://sabsetejkhabar.com/wp-content/uploads/2024/06/image_2024_06_19T06_18_50_477Z.png)
इस घटना ने न केवल शिक्षा विभाग बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र को हिला कर रख दिया है। इस मामले के सामने आने के बाद, सरकार ने शिक्षा विभाग में अन्य संभावित वित्तीय अनियमितताओं की जांच का आदेश भी दिया है। यह मामला राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच एक सख्त संदेश पहुंचाने का काम करेगा कि किसी भी प्रकार की वित्तीय गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
राजस्थान के बारां जिले का यह मामला शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं की गंभीरता को उजागर करता है। यह घटना न केवल शिक्षा विभाग के लिए बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र के लिए एक चेतावनी है कि ऐसी घटनाओं को भविष्य में रोकने के लिए कड़ी निगरानी और सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। शिक्षा मंत्री द्वारा की गई सख्त कार्रवाई की चेतावनी और बड़े पैमाने पर जांच की घोषणा इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे उम्मीद है कि भविष्य में ऐसे गबन और फर्जीवाड़े के मामलों को रोका जा सकेगा।