स्वाति मालीवाल से मारपीट और अभद्रता के मामले में आरोपी विभव कुमार की पेशी तीस हजारी कोर्ट में हुई। इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने विभव कुमार को तीन दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। आज कोर्ट में क्या-क्या हुआ, इसका विस्तृत विवरण इस प्रकार है:
कोर्ट में सुनवाई के दौरान की घटनाएं
दिल्ली पुलिस की दलीलें
दिल्ली पुलिस ने विभव कुमार पर लगे टॉर्चर के आरोप को गलत बताया। पुलिस ने कहा कि जब पहली बार विभव को कस्टडी में लिया गया था, तब कोर्ट ने इस मुद्दे पर सवाल उठाए थे और परिवार के सदस्यों को मिलने की इजाजत दी थी।
विभव कुमार के वकील की दलीलें
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विभव के वकील ने एफआईआर के अंदर फोन फॉर्मेट करने का उल्लेख नहीं होने की बात कही। उन्होंने कहा कि एफआईआर तुरंत दर्ज नहीं हुई थी और विभव के फोन को पुलिस के कब्जे में लेने के बाद से कोई डिलीटेड डाटा रिकवरी की प्रक्रिया नहीं की गई। वकील ने यह भी तर्क दिया कि कोई भी आरोपी अपने खिलाफ सबूत क्यों बनाएगा।
प्राइवेसी का अधिकार
विभव के वकील ने संविधान के अनुच्छेद 23 का हवाला देते हुए प्राइवेसी के अधिकार की बात की। उन्होंने कहा कि यही से पुलिस का टॉर्चर शुरू होता है। उन्होंने पॉलीग्राफी, नार्को और ब्रेन मैपिंग पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी उल्लेख किया।
दिल्ली पुलिस की प्रतिक्रिया
दिल्ली पुलिस ने कहा कि विभव ने घटना का वीडियो बनाया है और उसने कबूल किया है कि उसने अपना फोन फॉर्मेट किया है। पुलिस को विभव के दूसरे फोन का पता करना है और यह जानना है कि क्या उसने घटना का वीडियो बनाया था या नहीं।
पुलिस कस्टडी की मांग
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विभव के वकील ने कहा कि पुलिस चाहती है कि वह कस्टडी में रखे ताकि वे जबरन उनके मुवक्किल से कुछ कहलवा सकें। उन्होंने कहा कि सबूतों के छेड़छाड़ को लेकर उनकी चिंता है और यह सब कुछ 16 तारीख के बाद शुरू हुआ है।
कस्टडी की आवश्यकता
विभव के वकील ने सवाल उठाया कि जब वह न्यायिक हिरासत में रह सकते हैं और सबूतों से दूर रह सकते हैं, तो पुलिस कस्टडी की क्या जरूरत है? उन्होंने कहा कि 16 तारीख की मेडिकल रिपोर्ट में जो चोटें दर्ज की गई हैं, उनकी जांच नहीं हुई है कि वे चोटें विभव ने पहुंचाई हैं या पहले से थीं।
आज की सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं। कोर्ट ने विभव कुमार को तीन दिनों की पुलिस हिरासत में भेजने का फैसला किया। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले दिनों में इस मामले में और क्या-क्या खुलासे होते हैं और स्वाति मालीवाल को न्याय मिलता है या नहीं।
संभावित परिणाम
इस मामले में विभव कुमार की पुलिस कस्टडी बढ़ने से उनके लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दूसरी ओर, स्वाति मालीवाल के लिए न्याय की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं। कोर्ट के अगले फैसलों पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी और यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले का अंतिम परिणाम क्या होता है।
यह मामला न केवल विभव कुमार और स्वाति मालीवाल के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह न्याय प्रणाली और कानून व्यवस्था के प्रति जनता के विश्वास को भी प्रभावित कर सकता है। इस मामले की गहन जांच और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करना न्यायपालिका का महत्वपूर्ण कार्य है ताकि सत्य और न्याय की जीत हो सके।