स्वयंभू बाबा विनोद कश्यप के बारे में यह सुनकर हैरानी हो रही है कि कैसे एक हॉस्पिटल नर्स ने अपनी ज़िन्दगी की दिशा बदलकर ‘गुरु सेवा’ के बहाने ऐसे घटित घटनाओं में शामिल हो सकता है। इस घटना ने सामाजिक सत्ता की एक अनजानी पहलू को प्रकट किया है जो हमें सोचने पर मजबूर कर देता है कि आध्यात्मिक आदर्शों के पीछे छुपा हुआ अनैतिकता का कैसे उपयोग किया जा सकता है।
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विनोद कश्यप ने अपने आश्रम में लाखों लोगों को आकर्षित किया और उन्हें धार्मिक भावना की ओर प्रवृत्त किया। पुलिस ने उन्हें महिला भक्तों के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया है। विनोद के दरबार में होने वाली सत्रों में, एक चौंकाने वाली योजना सामने आई, जहां उन्होंने भक्तों को गुरु सेवा के नाम पर बुलाया और फिर उनके साथ अनैतिकता का शिकार किया।
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विनोद को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, और उन पर यौन उत्पीड़न और ब्लैकमेल के आरोप लगाए गए हैं। महिलाओं ने बताया कि उन्हें उनकी समस्याओं का समाधान चाहिए था, और इसके बहाने उन्हें शराब दी गई और उनके साथ अनैतिकता किया गया। इसके बाद विनोद ने उन्हें धमकियाँ दी कि वे इस घटना को खुले में नहीं लाएंगे।उसका यौन उत्पीड़न और ब्लैकमेल करने का आरोप एक चौंकाने वाली सच्चाई है जो हमें यह सिखाती है कि हमें अपने धार्मिक गुरुओं और आध्यात्मिक नेताओं की पूरी तरह से निगरानी रखनी चाहिए।
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इस संदेहजनक कहानी के माध्यम से हमें सोशल मीडिया और यूट्यूब जैसे प्लेटफ़ॉर्मों पर आध्यात्मिक गुरुओं के प्रभाव की प्रतिबद्धता की भी आवश्यकता है। लोगों को यह याद रखना चाहिए कि सभी आदर्शवादी और धार्मिक व्यक्तियों की निगरानी रखना महत्वपूर्ण है |
इस घटना ने समाज को एक और सीख दी है कि महिलाएं किसी भी समय और स्थिति में अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए सावधान रहें। यह बताता है कि समाज में आत्म-संरक्षण की महत्वपूर्णता को बढ़ावा देना हम सभी की जिम्मेदारी है।