दुनिया की सबसे दुर्लभ व्हिस्की की नीलामी में 22 करोड़ की बिक्री के बाद, एक नई कहानी पैदा हुई है। इस विशेष व्हिस्की का नाम मैकलॉन है, जिसने अपने नाम को रिकॉर्ड में दर्ज कराया है। इस खास व्हिस्की की दुनिया में इतनी महंगाई का क्या राज है, इसे समझने के लिए हमें इसकी खोज में कुछ और डालना होगा।
“जितना पुराना उतना अच्छा” यह कहावत शराब से जुड़ी है और इसमें कुछ खास बातें हैं जो इसे अनूठा बनाती हैं। मैकलॉन 1926 व्हिस्की के मामूले नाम ने इसे एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया है। इस व्हिस्की को इतनी महंगा बनाने के पीछे कई कारण हैं, जिनमें इसकी उम्र, स्वाद, और विशेषता शामिल हैं।
मैकलॉन 1926 को दारचीनी स्वाद और सुगंध के साथ बनाया गया है, जो इसे बहुत ही विशेष बनाता है। “एक छोटी बूंद” नामक नोट के साथ इसे चखने का अवसर भी मिला है और इसमें उम्र बढ़ने के बाद भी भूगर्भ सुधार होता है।
इस व्हिस्की की बोतल में साल 1986 में सिर्फ 40 बोतलें बनाई गई थीं, जिसमें से एक बोतल व्हिस्की के बनने से पहले 60 साल तक डार्क ओक शेरी पीपों में परिपक्व होने में समय लगता है। इससे यह व्हिस्की एक अद्वितीय और अत्यधिक मूल्यवान आभूषण बन जाती है।
सोथबी ने इस नीलामी के माध्यम से इस व्हिस्की को एक नए रिकॉर्ड का दर्जा दिया है, जिसमें यह 22 करोड़ में बेची गई। इससे यह व्हिस्की दुनिया की सबसे महंगी बन गई है और इसका नाम रिकॉर्ड बुक में दर्ज हो गया है।
लोगों के बीच इस नीलामी के बारे में विवाद बढ़ा है, कुछ लोग इसे केवल एक हंगओवर की बोतल मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे मानव जाति के लिए एक शानदार उपलब्धि मान रहे हैं। इससे जुड़े विचारों के बावजूद, यह नीलामी एक विशेष और दुर्लभ आइटम के रूप में इतिहास में अपनी जगह बना चुकी है।