मिशन गगनयान के लिए चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की घोषणा कर दी गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने ISRO के वैज्ञानिकों की मौजूदगी में इन धुरंधरों का परिचय दुनिया से कराया। इन एस्ट्रोनॉट्स का पिछला सफर जाना जा चुका है। अब आगे, इन अंतरिक्ष यात्रियों का अगला मिशन क्या होगा? चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 की सफलता के बाद ISRO के गगनयान मिशन का एक गुप्त खुलासा हुआ है। प्रधानमंत्री ने उन अंतरिक्ष यात्रियों का परिचय दुनिया से कराया है जो ‘गगनयान’ मिशन के तहत अंतरिक्ष की उड़ान भरेंगे। चारों एस्ट्रोनॉट्स भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलट हैं और इनका चयन एक लंबी चौड़ी चयन प्रक्रिया के बाद हुआ है। अब इनका प्रशिक्षण अमेरिका में होगा।
चारों अंतरिक्षयात्री प्रशिक्षण के लिए अमेरिका जाने के लिए तैयार हैं। ISRO के अध्यक्ष ने मिशन गगनयान के अगले चरण की शुरुआत के लिए जल्द पुष्टि की है। भारतीय अंतरिक्षयात्री अब अमेरिका में अगले स्तर की ट्रेनिंग के लिए जा रहे हैं। इनका प्रशिक्षण जल्द ही नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर, टेक्सास में होगा।
गगनयान अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने का भारत का अपना प्रयास है। इससे पहले स्पेस की रेस में केवल रूस और अमेरिका शीत युद्ध के दौरान से ही ह्यूमन स्पेस मिशन के अगुवा रहे हैं। बाद में संयुक्त प्रयासों के तहत यूरोप के एस्ट्रोनट्स भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचे।
रूस में चारों अंतरिक्ष यात्रियों की सर्वाइवल ट्रेनिंग भी हुई है। मॉस्को के पास स्टार सिटी में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को बर्फ, रेगिस्तान, पानी में जीवित रहने का प्रशिक्षण दिया गया। रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में चारों की ट्रेनिंग हुई। इसी सेंटर में 1984 में अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा की ट्रेनिंग हुई थी। अब भारत के इन अंतरिक्ष यात्रियों को भी यहाँ तैयार किया गया है।
4 भारतीय एस्ट्रोनॉट्स खास अंतरिक्ष व्हीकल्स में उड़ान भरते समय जीरो ग्रेविटी यानी भारहीनता का अनुभव कर चुके हैं। अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस उड़ान के दौरान अनुभव होने वाले उच्च G-फोर्स को संभालने में सक्षम होना चाहिए।
अंतरिक्ष में चढ़ते समय भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को करीब 16 मिनट तक 4G के लोड का अनुभव प्रभावी रूप से महसूस होगा। इसका मतलब यह है कि एक अंतरिक्ष यात्री जिसका वजन 70 किलोग्राम है, उसे ऐसा महसूस होगा जैसे उसका वजन 280 किलोग्राम है। अंतरिक्ष यात्री ले जाने वाले कैप्सूल के मध्य-उड़ान निरस्त होने की स्थिति में, गगनयान अंतरिक्ष यात्रियों को कुछ सेकंड के लिए 12G भार का अनुभव होगा।
गगनयान टीम के सदस्यों को बेंगलुरु के भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र में सिम्युलेटर ट्रेनिंग और वास्तविक अंतरिक्ष ट्रेनिंग के कई चरणों से गुजरना पड़ता है। इसके अलावा, अंतरिक्ष यात्री को फिजिकल फिटनेस, मेडिकल चेकअप, और उच्च ग्रेविटी में अभ्यास करने के लिए तैयार किया जाता है।
2023 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग की दिशा में पहल की घोषणा की गई थी। इसके अंतर्गत, 2024 में एक संयुक्त मिशन का लॉन्च किया जाना था, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए भेजा जाना था। इस मिशन के तहत, भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर में एडवांस ट्रेनिंग दी जानी थी।