चमगादड़ की अजीबों गरीब हरकतें:- आप में से कईयों ने चमगादड़ तो जरूर देखें ही होगें। जो निसाचर प्रजाति का होता है। यानी जो पक्षी या पशु दिन में पूरे दिन अराम करता है। या सोता है, और रात को पूरी रात जागकर अपना काम करते है। उनको निसाचर बोलते है। जैसे ही सुबह का किरण निकलता है तो चमगादड़ अपने सोने का जगह ढूढंने लगते है, और वो ऐसे जगहों का चयन करते है जहां दिन में भी अंधेरा होता है। जैसे बंद पड़े मकान, गुफाएं, और पेड़ की घनी टहनियां। लेकिन क्या आप जानते है कि चमगादड़ आखिर पेड़ पर उल्टा ही क्यों लटकते है। जबकि बाकी के सभी जानवर या पक्षी सिधे से पेड़ की शखाओं पर बैठते है। आज हम आपको चमगादड़ के बारे में ऐसे ही कुछ अनोखी बातो के बारे में बताने जा रहे है।
चमगादड़ धरती पर कब से निवास कर रहे हैं !
जिनका रहस्य आप आज तक नहीं जान पाएं होंगे। आपको बता दे कि चमगादड़ असमान में उड़ने वाला स्तनधारी प्राणी है। आपको जानकर हैरानी होगी की दुनियाभर में चमगादड़ ही एक ऐसा जानवर या स्तनधारी पक्षी है जो असमान में भी उड़ सकता है। हलांकि ये रात के बक्त में ही उड़ते है। दुनियाभर में पाई जाने वाली चमगादड़ की प्रजातियों में अधिकांस चमगादड़ भूरे या काले रंग के होते है। वैज्ञानिको के मुताबिक, चमगादड़ आज से लगभग दस करोड़ साल पहले, यानी डायनासोर के समय में भी धरती पर रहा करते थे। इतने समय के बाद भी चमगादड़ आज भी धरती पर मौजूद है। अब आते है इस सवाल पर कि आखिर चमगादड़ उल्टे क्यों लटके रहते है। तो इसके पिछे एक बड़ी वजह ये है कि वो असानी से उड़ान भर सकते है। दरअसल, बाकी पक्षीयों की तरह चमगादड़ जमीन से उड़ान नहीं भर पाते। क्योंकि उनके पंख उतने उठान नहीं दे पाते है। जितनी उड़ने के लिए जरूरी होती है।
पेड़ पर उलटे लटकर कैसे सो पाते हैं चमगादड़ !
इसके अलावा उनके पिछले पैर छोटे और अविकसित होते हैं, जिसके वजह से वो दौड़ कर भी गति नहीं पकड़ पाते। यही वजह है कि चमगादड़ हमेशा उल्टे लटके रहते है। और ऐसी हालत में सो भी जाते है। अब इसमें सबसे बड़ा सवाल आता है कि ये सोते बक्त भी संतुलन खोकर गिरते क्यों नहीं है। तो इसके पिछे बड़ी वजह ये है कि इनके पैरों कि नसें इस तरह से व्यवस्थित होती हैं कि उनका वजन ही उनके पंजों को मजबूती के साथ पकड़ने में मदद करता है। चमगादड़ की लगभग एक हजार प्रजातियां पाई जाती है। और ये दूसरें कीड़े-मकौड़ों का खून पीने में माहिर होती है। वहीं एक पिसाज जाती का चमगादड़ होता है जो पूरी तरह से खून पर आश्रित रहता है।