बिहार के कैमूर जिला के जिलाधिकारी सावन कुमार ने अपनी पत्नी की डिलीवरी के लिए सरकारी अस्पताल का चयन करके एक मिसाल प्रस्तुत की है। जिलाधिकारी की पत्नी गर्भवती थीं और उन्होंने इस खास मौके पर उन्हें सदर अस्पताल भभुआ में ही डिलीवरी करने का निर्णय लिया। इस मामूली और आम से लगने वाले कदम ने लोगों में एक सकारात्मक माहौल बनाया है।

जिलाधिकारी ने बताया कि उनकी पत्नी गर्भवती थीं और उन्होंने सदर अस्पताल में ही अपनी पत्नी की जांच कराई थी। जांच के दौरान ही डॉक्टरों ने ऑपरेशन के द्वारा बच्चे के होने की बात बताई और इसके बाद सुरक्षित रूप से डिलीवरी की गई। इस खास मौके पर जिलाधिकारी ने निजी अस्पताल की बजाय सरकारी अस्पताल का चयन किया, जिससे वहां के लोगों में सरकारी अस्पतालों के प्रति विश्वास बढ़ा है।
इस मौके पर जिलाधिकारी की पत्नी और नवजात शिशु दोनों स्वस्थ हैं। डॉक्टरों की निगरानी में रखे जा रहे हैं और जब वह पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे, तब उन्हें घर जाने के लिए छुट्टी दी जाएगी।

सावन कुमार ने इस मौके पर बताया कि सरकारी अस्पताल में इलाज करवाना एक सुखद अनुभव रहा है और वहां की सुविधाएं प्राइवेट अस्पतालों के मुकाबले भी अधिक हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को यहां एक बार इलाज करवा कर देखने का एक अवसर जरूर मिलना चाहिए, ताकि उन्हें सरकारी अस्पतालों के प्रति विश्वास बढ़े।
इस घड़ी में, जहां लोग आमतौर पर प्राइवेट अस्पतालों का ही चयन करते हैं, जिलाधिकारी सावन कुमार की यह कदमबद्ध उन्हें लोगों के बीच एक नेतृत्वीय आदर्श बनाती है। उनका यह उदाहरण दिखाता है कि देशवासियों को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति विश्वास बढ़ाने के लिए सबसे छोटा कदम भी महत्वपूर्ण हो सकता है।