एक देश-एक चुनाव को लेकर चर्चा और विचार-विमर्श भारतीय राजनीतिक गलियारों में बहुत समय से हो रही है। इस पर विभिन्न राजनीतिक दलों और विद्वानों के बीच विभिन्न तर्क दिए गए हैं। इस चर्चा के बावजूद, अब तक कोई आदर्श या निर्णय नहीं लिया गया है।
राष्ट्रीय विधि आयोग (लॉ कमीशन ऑफ इंडिया) ने हाल ही में इस मुद्दे पर चर्चा की और एक बैठक आयोजित की। इस बैठक में एक देश-एक चुनाव के मुद्दे पर कोई तय नहीं किया गया, लेकिन दूसरे कई मामलों पर सहमति जताई गई है। इनमें POCSO (Protection of Children from Sexual Offences Act) और ऑनलाइन FIR की रिपोर्ट को लेकर सदस्यों के बीच सर्वसम्मति से फैसला लिया गया है।
भारतीय विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी ने इस मुद्दे पर बताया कि एक देश-एक चुनाव की रिपोर्ट अभी तक अंतिम रूप नहीं दी गई है और न ही कोई संभावित तिथि तय की गई है। वह बताए कि इस मुद्दे पर काम जारी है और रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए काम किया जा रहा है।
एक देश-एक चुनाव का मकसद है कि लोगों को बार बार वोट करने से मुक्ति दिलाई जाए और वे एक बार ही वोट करके अपने क्षेत्र के सांसद और विधायक को चुन सकें। इससे लोगों को समय और श्रम की बचत होगी और एक ही दिन और एक ही स्थान पर वोट करने का अवसर मिलेगा।
एक देश-एक चुनाव के फायदे और नुकसान पर भी विचार करना महत्वपूर्ण है, और इस मुद्दे पर और चर्चा और विचार-विमर्श की आवश्यकता है। इससे यह सुनिश्चित हो सकता है कि क्या इस प्रकार का चुनाव भारतीय राजनीतिक प्रक्रिया को सुधार सकता है और लोगों को ज्यादा प्रतिनिधित्व और सामाजिक समानता का लाभ पहुंचा सकता है।