बिहार में राजनैतिक परिवारों की विरासत संभालने उतरी नई पीढ़ी के बारे में चर्चा करने से पहले हमें यह समझने की आवश्यकता है कि राजनैतिक परिवारों का महत्व क्या है। बिहार में कई राजनैतिक परिवार हैं जो राजनीति में बड़ा महत्व रखते हैं। इन परिवारों के सदस्यों को लोग अपने विकास और प्रगति के लिए चुनते हैं। यहां बात कुछ ऐसे परिवारों की है जिनकी अगली पीढ़ी अब चुनावी मैदान में है।
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लालू प्रसाद यादव के परिवार की बात करें तो वे बिहार की राजनीति में एक बड़ा नाम हैं। उनके बेटे तेज प्रताप और तेजस्वी यादव अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए सक्रिय हैं। अब उनकी बेटियां भी चुनावी रण में भाग ले रही हैं। लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती फिर से पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रही हैं। उनकी बेटी रोहिणी आचार्य भी सारण सीट पर चुनावी मैदान में उतर रही हैं।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बाद नीतीश कुमार भी एक बड़ा नाम हैं। उनके पुत्र नितीश कुमार अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए सक्रिय हैं। नीतीश कुमार की पत्नी मंजू वर्मा की बेटी निकिता कुमारी भी राजनीतिक मैदान में कदम रख रही हैं।
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इसके अलावा, बिहार में अन्य राजनैतिक परिवारों के सदस्यों की बेटियों भी चुनाव में भाग ले रही हैं। जैसे कि पूर्व सांसद सी.पी. ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर और बिहार के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी। यह सभी उदाहरण दिखाते हैं कि बिहार में राजनैतिक परिवारों के सदस्यों की बेटियां भी अब राजनीतिक मैदान में उतर रही हैं और अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं।
इन सभी बातों से स्पष्ट है कि बिहार में नई पीढ़ी की राजनीतिक सक्रियता बढ़ रही है। यह एक सकारात्मक संकेत है कि राजनीतिक परिवारों की विरासत को आगे बढ़ाने का काम अब नई पीढ़ियों के कंधों पर सौंपा जा रहा है। यही तो देश की लोकतंत्र में विश्वास और स्थायित्व का प्रमुख स्तंभ है। बिहार की राजनीति में नई पीढ़ी की इस सक्रियता के माध्यम से लोगों को विकास और प्रगति की दिशा में एक नया दृष्टिकोण मिलेगा।