पश्चिम बंगाल के संदेशखाली गांव में हाल ही में हुई घटना ने लोगों को आपसी भरोसे की बजाय आत्मसमर्पण की बात सिखाई है। यहाँ की महिलाएं शाहजहां शेख और उसके गुंडों के अत्याचारों का शिकार बन गईं हैं। इस दुर्भाग्यपूर्ण संघर्ष में उन्होंने न केवल अपनी इज्जत खो दी, बल्कि उनकी आत्मा भी उनसे छीन ली गई।
शाहजहां शेख का नाम कब सामने आया, यह कहानी कैसे शुरू हुई और उनका सफर कैसे बड़े बिजनेसमैन से ‘गली का गुंडा’ बन गया, इसकी जानकारी हमें आपको यहाँ देने का प्रयास है।
शुरुआत: निराशा से लेकर बलात्कार तक
शाहजहां शेख की कहानी की शुरुआत किसी सपने से नहीं, बल्कि एक दरिद्र और निराश महिला की चीखों से हुई। यह एक सच्ची कहानी है, जो न केवल संदेशखाली की, बल्कि पूरे राज्य की विपरीत पक्ष की है।
संदेशखाली की महिलाओं ने अपनी कठिनाइयों की कहानी साझा की, जिसमें उनका गांव के नेता शाहजहां शेख और उसके गुंडों का हिस्सा होना न केवल उनकी मनमानी को, बल्कि उनकी आत्मा को भी उजाड़ दिया। उन्हें जब चाहा, तब पार्टी के कार्यालय बुला लिया जाता, और अक्सर रात के अंतिम पलों में। अगर कोई उनकी इच्छा का विरोध करता, तो उसके परिवार के पुरुषों को बुरी तरह पीटा जाता।
शाहजहां शेख और उसके गुंडे गांववालों की जमीन हड़प लेते, और उन्हें सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं पहुंचने देते थे। यह सिर्फ एक शुरुआत थी।
सत्ता का दबदबा: जातिवाद और अत्याचार
शाहजहां शेख का नाम जातिवाद, अत्याचार, और धमकी के बिना अधिकार का प्रतीक बन चुका था। उनकी सत्ता का दबदबा इतना मजबूत था कि उन्हें कोई भी समाज में सवाल नहीं उठाने का साहस कर पाता था।
2018 के पंचायत चुनावों में मतदान वाले दिन पश्चिम बंगाल में 12 लोग मारे गए थे, और उन चुनावों में TMC ने एक-तिहाई सीटें बिना लड़े ही जीत लीं। इस बीच, शाहजहां ने लेफ्ट का साथ जोड़कर ममता बनर्जी की TMC का दामन थाम लिया।
उनके खिलाफ आरोप लगे कि वे धर्म, जाति, और आर्थिक रूप से किसी का भी बलात्कार करने में नहीं हिचकते थे। उनकी प्राइवेट आर्मी भी थी, जो उनके साथी गुंडे थे, जो उनके हुक्म पर काम करते थे। ये गुंडे उनके इंटरेस्ट की रक्षा करते, और उनके विरोधीयों को डरा कर अपने अधिकार को बनाए रखते थे।
न्याय की तलाश: आम आदमी की भावनाएं
संदेशखाली के लोगों के लिए न्याय की तलाश एक अथाह यात्रा है। उन्हें न केवल अपनी इज्जत वापस चाहिए, बल्कि उन्हें शाहजहां शेख और उसके गुंडों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की भी उम्मीद है।
इसके अलावा, उन्हें सरकार और पुलिस से भी आशा है कि वह उनके सुरक्षा और न्याय के लिए काम करेंगे। यह एक आम आदमी की भावनाएं हैं, जो संदेशखाली के लोग न्याय और समानता की तलाश में हैं।
आतंकवाद और सामाजिक सुरक्षा
संदेशखाली की घटना न केवल एक स्थानीय मुद्दा है, बल्कि यह भारतीय समाज की एक बड़ी चुनौती है। यह दिखाता है कि कैसे सत्ता, पैसा, और बल के उपयोग से एक व्यक्ति आतंक का एक साधारण नाम बन सकता है, और किस तरह समाज को उसके अधिकारों से वंचित किया जा सकता है।
इस संघर्ष के मध्य में, हमें न्याय और सामाजिक सुरक्षा की तलाश है। हमें सामाजिक जागरूकता और शिक्षा को मजबूत करने की जरूरत है, ताकि हम समाज में सामान्य लोगों को इस तरह के आतंकवादी तत्वों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए सशक्त कर सकें।
संदेशखाली की घटना ने हमें यह सिखाया है कि आतंकवाद और समाज में असुरक्षा को कैसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हमें इसे जड़ से उखाड़ने और न्याय की राह पर चलने की जरूरत है, ताकि हमारे समाज में सच्चे और स्थायी विकास की संभावना हो सके।
शाहजहां और उसके गुर्गों पर राजस्व विभाग के भूमि मानचित्र को बदलने का भी आरोप है। उनका आरोप है कि वे मत्स्य पालन भूखंडों और भूमि को विलय या अधिग्रहण करने के लिए राजस्व विभाग के भूमि मानचित्र को बदला। 2021 में, उन्होंने कथित तौर पर सरबेरिया में एक बाजार को जब्त किया और उसे अपने नाम पर पुनः बनवाया। इसके अलावा, धान उगाने वाले किसानों की जमीनों को भी शाहजहां ने अधिग्रहण किया और उनकी फसलों को अपने अनुबंधित खरीदारों को बेचने के लिए मजबूर किया। इसके अलावा, उन्हें सरकारी योजनाओं से मिले पैसे भी हड़पने का आरोप है। पुलिस के अनुसार, वे अवैध व्यापार भी करते हैं और कई बार भागकर बांग्लादेश चले जाते हैं ताकि कानूनी शिकंजे से बच सकें।
शाहजहां शेख के खिलाफ अनेक गंभीर अपराधों का आरोप है, जैसे कि रंगदारी, मारपीट, बलात्कार और हत्या। अब तक, वे कानून की गिरफ्त से बचते रहे हैं और मुसीबत की आहट मिलने पर फरार हो जाते हैं। कई बार उन्हें पकड़ा गया है, लेकिन शाहजहां शेख अब भी गिरफ्तार नहीं किया गया है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किया है, लेकिन वे अब भी फरार हैं। उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का भी एक नया मामला दर्ज किया गया है।