हरियाणा की राजनीति में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 में पांच सीटें जीतकर अपनी खोई हुई जमीन वापस पा ली है। यह जीत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य की सभी 10 सीटों पर कब्जा जमाया था। कांग्रेस की इस सफलता ने जाट बेल्ट, जिसे ‘देसवाली पट्टी’ के नाम से भी जाना जाता है, पर एक बार फिर से अपनी पकड़ को मजबूत किया है। रोहतक और सोनीपत जैसी प्रमुख सीटों पर कांग्रेस की जीत ने यह साबित कर दिया कि पार्टी ने यहां अपनी प्रभावशाली वापसी कर ली है।
2019 में भाजपा की जीत और 2024 में कांग्रेस की वापसी
![](https://sabsetejkhabar.com/wp-content/uploads/2024/06/image_2024_06_07T05_49_58_807Z.png)
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने हरियाणा की सभी 10 सीटों पर विजय प्राप्त की थी। यह जीत भाजपा के लिए बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि यह क्षेत्र पारंपरिक रूप से कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। भाजपा ने न केवल रोहतक में हुड्डा परिवार की पकड़ को तोड़ा, बल्कि सोनीपत से कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी हराया था। लेकिन इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने फिर से अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।
दीपेंद्र हुड्डा की बड़ी जीत
![](https://sabsetejkhabar.com/wp-content/uploads/2024/06/image_2024_06_07T05_51_34_281Z.png)
रोहतक सीट पर कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने भाजपा के मौजूदा सांसद अरविंद शर्मा को 3,45,298 मतों से हराया। दीपेंद्र हुड्डा की यह जीत हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में सबसे बड़े अंतर से होने वाली जीत थी। यह दर्शाता है कि रोहतक में कांग्रेस की जड़ें अभी भी मजबूत हैं और पार्टी ने यहां अपना दबदबा फिर से स्थापित कर लिया है।
सोनीपत में कांग्रेस की जीत
![](https://sabsetejkhabar.com/wp-content/uploads/2024/06/image_2024_06_07T05_53_04_085Z.png)
सोनीपत सीट पर भी कांग्रेस ने जीत हासिल की। पार्टी उम्मीदवार सतपाल ब्रह्मचारी ने भाजपा के मोहन लाल बादोली को मात दी। इस जीत ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस ने जाट बेल्ट में अपनी पकड़ को फिर से मजबूती दी है।
भाजपा के लिए नुकसानदेह साबित हुआ पाला बदलने वाले नेताओं पर दांव लगाना
इस चुनाव में भाजपा को पाला बदलकर आए नेताओं पर भरोसा करना महंगा पड़ा। सिरसा से अशोक तंवर और हिसार से रंजीत चौटाला को मैदान में उतारना भाजपा के लिए नुकसानदेह साबित हुआ। अशोक तंवर को कांग्रेस की दिग्गज नेता कुमारी शैलजा से करारी हार का सामना करना पड़ा। रंजीत चौटाला भी कांग्रेस के जयप्रकाश से हार गए।
गुड़गांव में कांग्रेस ने दी कड़ी टक्कर
गुड़गांव सीट पर केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद राव इंद्रजीत सिंह को कांग्रेस के राज बब्बर ने कड़ी चुनौती दी। हालांकि, राव इंद्रजीत सिंह ने 75,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज की, लेकिन पिछले चुनाव की तुलना में यह अंतर काफी कम था। 2019 में उन्होंने 3,86,256 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी।
भाजपा के अन्य विजयी उम्मीदवारों की जीत का अंतर भी कम हुआ
![](https://sabsetejkhabar.com/wp-content/uploads/2024/06/image_2024_06_07T05_59_04_697Z.png)
इस चुनाव में न केवल राव इंद्रजीत सिंह की जीत का अंतर कम हुआ, बल्कि भाजपा के अन्य विजयी उम्मीदवारों का भी मतों का अंतर घटा। उदाहरण के लिए, करनाल सीट पर भाजपा के संजय भाटिया ने 2019 में 6.56 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी, जबकि इस बार उनका अंतर काफी कम था। केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने फरीदाबाद सीट से 2019 में 6.38 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी, जबकि इस बार वह मात्र 1.72 लाख मतों के अंतर से ही जीत सके।
कांग्रेस की वापसी के संदेश
कांग्रेस की यह वापसी कई महत्वपूर्ण संदेश देती है। सबसे पहले, यह साबित करता है कि पार्टी ने जाट बेल्ट में अपनी खोई हुई जमीन वापस पा ली है। दूसरी बात, कांग्रेस ने जनता के बीच अपनी उपस्थिति और प्रभाव को फिर से मजबूत किया है। तीसरी बात, यह जीत भाजपा के लिए एक चेतावनी है कि पार्टी को अपनी रणनीति और उम्मीदवारों के चयन में और सावधानी बरतने की जरूरत है।
हरियाणा में कांग्रेस की इस सफलता ने राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। यह न केवल पार्टी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण सबक भी है। कांग्रेस की जीत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी ने अपने आधार को पुनः स्थापित किया है और आगे के चुनावों में भी यह बढ़त बनाए रखने की कोशिश करेगी।