भारत अपने दुश्मन देशों से निपटने के लिए अमेरिका से एक बड़ी प्लानिंग कर रहा है। अब अमेरिका और भारत समुद्री सुरक्षा के लिए किसी भी तरह के खतरे से बचाव के लिए प्रशांत महासागर और हिंद महासागर में युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों को एक साथ तैनात करेंगे। अमेरिका और भारत के बीच हुई इस डील को सीधे चीन से निपटने के लिए देखा जा रहा है।
अमेरिकी राजदूत का बयान
दरअसल, हाल ही में प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी 21 से 24 जून तक अमेरिका की यात्रा पर गए थे। इस दौरान दोनों देशों ने मिलकर कई मुद्दों पर चर्चा की। इन्हीं में से एक मुद्दा था देश की सुरक्षा का। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के खास कहे जाने वाले अमेरिका के भारत में राजदूत एरिक गार्सेटी ने हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-दिल्ली में चीन को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सख्त आवाज में कहा कि, ‘अमेरिका और भारत समुद्री सुरक्षा के लिए किसी भी खतरे से निपटने के लिए प्रशांत महासागर और हिंद महासागर में युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों को एक साथ तैनात कर सकते हैं। इसे सीधे चीन के लिए चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है।’
दोनों देश सह-उत्पादन को और प्रगाढ़ करने को तैयार
उन्होंने आगे यह भी कहा कि, ‘दो सबसे बड़े लोकतंत्र के पास अधिक शांतिपूर्ण विश्व बनाने की शक्ति है। दोनों देश सैन्य उपकरणों के सह-उत्पादन को और प्रगाढ़ करने के लिए तैयार हैं।’ इस दौरान एरिक ने विमानन-इंजन, तोपखाने और जमीनी वाहनों के क्षेत्र में होने वाले कार्यों को उदाहरण के तौर पर गिनवाया।
अमेरिकी राजदूत ने क्यों दिया ऐसा बयान?
बता दें अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी का ऐसा बयान तब सामने आया है, जब भारत ने साफ़ लफ्जों में कह दिया कि चीन से लगे सीमा क्षेत्रों में स्थिति अभी भी सामान्य नहीं हुई है। दोनों देशों के बीच संबंध अब पटरी पर नहीं लौट सकते हैं।