लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही, राहुल गांधी के चुनाव लड़ने की स्थिति बदल रही है। अमेठी से लौटने की संभावना उच्च हो रही है, जबकि वायनाड सीट पर भी राहुल के लिए चुनावी सीन बन रहा है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कुछ महीने पहले ही संकेत दिए थे कि राहुल अमेठी से चुनाव लड़ेंगे। यहां तक कि सपा भी अमेठी-रायबरेली सीटें राहुल को देने को तैयार हो रही है। लेकिन वायनाड में बन रहे समीकरण स्थिति को और भी द्रुत कर रहे हैं।
जब चुनाव के आसपास करीब आते हैं, राहुल गांधी के लिए दो विकल्प उपलब्ध हैं। एक विकल्प है अमेठी सीट से चुनाव लड़ना और दूसरा विकल्प है वायनाड सीट पर बने रहना। वायनाड सीट पर चुनाव लड़ने की इच्छा को देखते हुए, राहुल अमेठी की ओर फिर से मुड़ सकते हैं। अमेठी क्षेत्र कांग्रेस का पारंपरिक गढ़ रहा है, और 2024 में BJP को चुनौती देनी है तो राहुल गांधी को थोड़ा जोखिम तो उठाना ही होगा।
मोदी लहर में अमेठी में कांग्रेस की पोजीशन कमजोर होती चली गई है। 1977 में संजय गांधी यहां से चुनाव लड़े थे, लेकिन पिछले चुनाव में भाजपा की स्मृति इरानी ने राहुल को हरा दिया था। इसके बाद, भाजपा ने अपनी जड़ें यहां जमा ली हैं। ऐसे में, क्या राहुल गांधी के सलाहकार उन्हें अमेठी जाने का रिस्क लेने को कहेंगे, यह देखने लायक बात होगी।
वायनाड सीट पर भी समीकरण बदल रहे हैं। साउथ में कांग्रेस का प्रभाव बढ़ रहा है और राहुल गांधी की वायनाड सीट पर सीपीआई की नजर है। विपक्ष के I.N.D.I.A गठबंधन में शामिल यह पार्टी केरल की इस सीट पर अपना उम्मीदवार खड़ा करना चाहती है। अभी भी सीट शेयरिंग पर बात चल रही है।’
राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 4 लाख से ज्यादा मतों के अंतर से वायनाड सीट जीती थी। सीपीआई उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे। कांग्रेस ने पिछले चुनावों में भी इस सीट पर कब्जा जमाया था, लेकिन सीपीआई हमेशा पिछड़ती गई। क्या राहुल दूसरी सीट पर चुनाव लड़ते हैं या वायनाड सीट पर बने रहते हैं, यह देखने को है।