सुप्रीम कोर्ट का फैसला:- जापान के सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसमें ट्रांसजेंडर लोगों के लिए अपने जेंडर बदलने के लिए नसबंदी सर्जरी कराने की आवश्यकता वाला कानून को असंवैधानिक घोषित किया गया है। इस फैसले को समुदाय के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है।
LGBTQ+ जागरूकता:- यह फैसला विशेष रूप से उच्चकोटी के समय में आया है, जब जापान में लैसबियन, गे, बायसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, और क्यूइयर (LGBTQ+) समुदाय के लोगों से जुड़े मुद्दों पर जागरूकता में वृद्धि हो रही है। इस फैसले को समुदाय के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है, जिससे विचारमुक्ति का संकेत मिल रहा है।
फैसले का महत्व:- यह फैसला 2003 के एक कानून की संवैधानिक वैधता पर पहला फैसला है, जिसमें सरकारी मान्यता प्राप्त लिंग परिवर्तन के लिए प्रजनन अंग हटवाना अनिवार्य था। इस कानून को अमानवीय और पुराना ठहराया जा रहा था, और इस पर संयुक्त रूप से आलोचना हो रही थी।
याचिका का परिचय:- यह फैसला एक याचिका पर हुआ है, जिसमें एक व्यक्ति ने पारिवारिक रजिस्ट्री में जेंडर कैटेगरी में अपना जेंडर बदलने के लिए निर्दिष्ट पुरुष से महिला होने की याचिका दर्ज कराई थी। उच्चतम न्यायालय ने इस याचिका को पहले खारिज कर दिया था, जिसके बाद यह व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख किया था।
एलजीबीटीक्यू+ कार्यकर्ताओं की ताकत:-जापान में एलजीबीटीक्यू+ कार्यकर्ताओं ने हाल ही में भेदभाव-विरोधी कानून पास कराने की कोशिशें तेज की हैं। प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के सहयोगी ने एक बयान के माध्यम से इन कोशिशों को तेज करने का ऐलान किया था।
यह फैसला न केवल ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो समानता और समरसता की दिशा में कदम बढ़ाता है। जापान ने इस फैसले के माध्यम से एक सुधारक भूमिका निभाई है, जिससे लोगों को एक साथी, समर्पित, और समरस समाज की दिशा में एक सकारात्मक कदम उठाने का संकेत मिलता है।