जावेद अख्तर के इस बयान से स्पष्ट होता है कि उनकी दृष्टि में भगवान राम और सीता माता केवल हिंदू देवता-देवी नहीं हैं, बल्कि उन्हें भारतीय सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा माना जाता है। उनका कहना है कि हिंदू धर्म में राम और सीता को महानता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, और उन्हें इस देश की संपत्ति माना जाता है।

जावेद अख्तर का कहना है कि वे नास्तिक हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक मौलिकता को समझकर राम और सीता की महत्ता को स्वीकार किया है। उनका दृष्टिकोण यह दिखाता है कि वे विभिन्न धाराओं और विचारधाराओं के बावजूद, सांस्कृतिक एकता की महत्ता को समझते हैं और उसे समर्थन करते हैं।

उनका बयान यह भी दिखाता है कि उन्हें भारतीय समाज की विविधता और एकता की प्रमुखता का आदर है। उनका तरीका बताता है कि किसी भी धर्म या संस्कृति के प्रति समर्थन करने में व्यक्ति आपसी समझ और समर्थन की भावना बनाए रख सकता है।

उनका आलोचनात्मक दृष्टिकोण भी स्पष्ट है, जिसमें उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी कम होने पर चर्चा की है। उनके अनुसार, समाज में अज्ञानता बढ़ने के कारण लोग अब अधिक संवेदनशील हो रहे हैं और इसका सीधा परिणाम यह है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कम हो रही है।
जावेद अख्तर के बयान से स्पष्ट होता है कि उन्हें भारतीय सांस्कृतिक और सामाजिक मौलिकता का समर्थन है, और उनकी बातों से यह साबित होता है कि सांस्कृतिक विरासत और एकता का महत्व समझना आवश्यक है।