मुख्तार अंसारी की हाल ही में हुई मौत ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा गड़बड़ मचा दिया है। उनका नाम अपराधियों और राजनीतिज्ञों के बीच संबंधों से जुड़ा है, और उनकी मौत के परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश में धारा 144 लागू की गई है। उनके परिवार की मौजूदगी में आज पोस्टमार्टम किया जाएगा, जिससे उनकी मौत की वास्तविक वजह का पता चल सके।
मुख्तार अंसारी का नाम अपराध की दुनिया में एक प्रमुख नाम था, जिसने सियासत में कदम रखा। उन्होंने 1996 में बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और उसे जीत हासिल की। उन्होंने पांच बार मऊ से विधायक के पद पर बैठे, लेकिन उनके खिलाफ कई संगीन अपराधिक मामले भी दर्ज थे। हत्या, लूट, और अपहरण जैसे कई मामलों में उन्हें अभियुक्त ठहराया गया था। उनकी संपत्ति को भी जब्त किया गया था।

मुख्तार अंसारी की मौत की खबर ने पूरे राज्य में अस्तव्यस्तता मचा दी है। उन्हें बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, लेकिन उनके इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इसके बाद सुरक्षा को मजबूत करने के लिए उत्तर प्रदेश में धारा 144 लागू की गई है।
इस घटना के पश्चात उत्तर प्रदेश की राजनीति में चर्चा हो रही है। मुख्तार अंसारी के बेटे उमर ने अपने पिता की हत्या के आरोप में न्यायिक जांच की मांग की है। उनके भाई अफजाल अंसारी के खिलाफ भी कई अभियुक्तियां थीं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट से अर्जेंसी के आधार पर अब्बास अंसारी की पैरोल पर रिहाई के लिए सुनवाई की मांग की जा सकती है। उनके बेटे उमर ने भी अपने पिता की मौत के पीछे के रहस्य को सुलझाने की मांग की है।
मुख्तार अंसारी की मौत के समय उत्तर प्रदेश में धारा 144 लागू किया जाना एक चिंताजनक घटना है। इससे सुरक्षा में वृद्धि की गई है, लेकिन राजनीतिक हलचल की उठने की संभावना बनी हुई है। मुख्तार अंसारी की मौत के परिणामस्वरूप पूरे राज्य में बड़ा हड़कंप मचा है और इससे राजनीतिक दलों के बीच भी उत्तर चढ़ने की संभावना है।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुख्तार अंसारी की मौत के बाद नई स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिससे राजनीतिक गतिरोध बढ़ सकता है। उनके परिवार और समर्थक इस समय कठिनाई में हैं और उन्हें न्याय और सुरक्षा की सुनिश्चितता की जरूरत है। आशा है कि संघर्ष के बीच भारतीय लोकतंत्र की धारा और संविधान के मूल्यों की पालन की जाएगी और राजनीतिक उत्पीड़न से बचा जाएगा।