भाजपा ने एक नई रणनीति अपनाई है, जिसमें कौमी चौपाल को मुख्य धारा बनाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि पार्टी अपनी मुसलमान विरोधी छवि को बदल सके। यूपी में भाजपा के लिए मुस्लिम वोट बहुत महत्वपूर्ण है, और इसलिए उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। इस योजना के तहत, भाजपा के नेता और कार्यकर्ता मुस्लिम समुदाय के लोगों से मिलकर सरकार की योजनाओं की जानकारी देने का प्रयास किया जा रहा है। यूपी में भाजपा की करीब 20 फीसदी मुस्लिम वोटबैंक पर नजर है, और वह चाहती है कि आने वाले चुनावों में इसे अपने पास रखे।
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इस नई रणनीति के तहत, भाजपा ने 1 फरवरी से कौमी चौपाल का आयोजन किया है, जिसमें मुस्लिम बहुल गांवों पर फोकस किया जाएगा। इसका उद्देश्य है कि भाजपा गांवों के मुस्लिम नागरिकों की समस्याओं को सुनेगी और उनके समर्थन में काम करेगी। चुनावी समय में यूपी की 75 से अधिक सीटों को जीतने का लक्ष्य रखने वाली भाजपा का यह प्रयास है कि वह अल्पसंख्यकों को भी अपनी ओर आकर्षित कर सके।
भाजपा का उद्देश्य है कि इस कौमी चौपाल के माध्यम से गांवों के मुस्लिम लोगों की समस्याओं को सुना जाए और उन्हें अपने पास खींचा जाए। इससे पहले इसी कोणें को ध्यान में रखते हुए, भाजपा ने सूफी सम्मेलन और पसमांदा सम्मेलन के माध्यम से भी मुस्लिम समुदाय को आकर्षित करने का प्रयास किया है।
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2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस नई रणनीति के तहत, भाजपा के नेता और कार्यकर्ता मुस्लिम समुदाय को सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए समझाने का कार्य करेंगे। उन्हें यह समझाया जाएगा कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने सभी समुदायों के विकास के लिए कठिनाइयों का सामना किया है और सबका साथ, सबका विकास का सिद्धांत अपनाया है।
भाजपा की इस पहल का पहला चरण पश्चिम यूपी में होने वाला है, जहां 4100 मुस्लिम बहुल गाँवों पर फोकस किया जाएगा। इस प्रयास के माध्यम से भाजपा यूपी की 21 लोकसभा सीटों में मुस्लिम वोटरों को अपनी ओर मोड़ने का प्रयास कर रही है। यह अभियान देशभर में विभिन्न समयों पर आयोजित किया जाएगा।