नीतीश कुमार के बनाये रस्ते पर चल कर ही केंद्र सरकार पूरा कर सकती है महिला सशक्तिकरण का ध्येय बिहारशरीफ स्तिथ जिला जदयू कार्यलय में शुक्रवार को जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि बिहार की देखादेखी महिला आरक्षण बिल लाकर केंद्र सरकार ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पदचिन्हों पर चल कर ही केंद्र सरकार महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य को पूरा कर सकती है। वास्तव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में जो कार्य किये हैं। वह पूरे देश के समक्ष मिसाल बन कर उभर रही है। इसीलिए आज पूरा देश बिहार के कामों को अपना रही है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के विकास के लिए सबसे जरूरी चीज उनकी शिक्षा-दीक्षा और नेतृत्व क्षमता को निखारना था। यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार ही थी जिसने 2005 में सत्ता संभालने के तुरंत बाद महिलाओं की नेतृत्व क्षमता पर भरोसा जताते हुए 2006 में ही उन्हें पंचायत व नगर निकाय चुनावों में 50% आरक्षण का अधिकार दे दिया था। बिहार उस समय इस तरह का कदम उठाने वाला देश का पहला राज्य था। तब से लेकर आज तक बिहार सरकार ने महिलाओं की शिक्षा से लेकर रोजगार तक के लिए कई बड़े कदम उठाये हैं जिन्होंने उनका जीवन बदल दिया है। यही वजह है कि आज बिहार की महिलाएं हर क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं।
राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि
राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में महिलाओं के जन्म से लेकर शिक्षा तक भी विशेष ध्यान दिया गया है। मुख्यमंत्री बालिका साइकिल व पोशाक योजना लड़कियों की शिक्षा के क्षेत्र में गेम चेंजर योजना साबित हुई। इससे विद्यालय में छात्राओं की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुआ है। आज विद्यालय जाने वाली लड़कियों की संख्या लड़कों के संख्या के बराबर हो चुकी है। लड़कियों को उच्च शिक्षा में प्रोत्साहित करने के लिए बिहार में इंटरमीडिएट पास अविवाहित लड़कियों को (25) पच्चीस हजार रुपये और स्नातक पास लड़कियों को (50) पच्चास हजार रुपये दिए जाने का प्रावधान किया है। इसके अलावा मेडिकल, इंजीनियरिंग और प्रस्तावित स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी में नामांकन में 33 % सीट लड़कियों के लिए कर दिया गया है. ऐसा करने वाला बिहार भारत का पहला राज्य है।
उन्होंने कहा कि बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कारण ही बिहार देश का पहला राज्य बना जहां महिलाओं को सरकारी नौकरी में सशक्त हिस्सेदारी दिलाने के लिए 35 % का आरक्षण दिया सरकार ने महिलाओं के लिए शिक्षा विभाग की नौकरियों में 50 प्रतिशत तक आरक्षण का प्रावधान भी किया है। वहीं सरकारी दफ्तरों में पोस्टिंग में भी महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। इसी के परिणाम स्वरूप आज राज्य में करीब 2 लाख से अधिक महिलाएं शिक्षक के रूप में काम कर रही हैं, वहीं 29,175 महिलाएं पुलिस विभाग में तैनात हैं। गौरतलब हो कि महिला पुलिस की यह संख्या देश के किसी भी राज्य से ज्यादा बिहार में है |
उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त बिहार सरकार महिलाओं की उद्योग को निखारने के लिए भी प्रयासरत है। बिहार सरकार की महिला उद्यमी योजना के तहत 10 लाख रुपये तक की मदद की जा रही है, जिसमें से पांच लाख अनुदान के रूप में मिलेगा और बाकी पांच लाख लोन होगा।
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त ग्रामीण महिलाओं को समाजिक तौर पर सशक्त करने के लिए चलायी जा रही जीविका योजना के तहत अभी तक कुल 10.45 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है, वहीं एक करोड़ 30 लाख परिवारों की महिलाओं को इन समूहों से जोड़ा जा चुका है। जीविका की ही तर्ज पर आज केंद्र सरकार पूरे देश में आजीविका योजना चला रही है। यह दिखाता है कि बिहार जो आज करता है, कल पूरा देश उसे अपनाता है। भले ही अपने राजनीतिक स्वार्थों के कारण केंद्र के नेता बिहार के खिलाफ टिपण्णी करते रहे, लेकिन अंदर से उन्हें भी पता है कि महिलाओं के विकास, उत्थान व सशक्तिकरण के लिए बिहार सरकार की नीतियों को अपनाने के अलावा कोई अलग रास्ता नहीं है।
इस अवसर पर जिलाध्यक्ष मो. अरशद, मुख्य प्रवक्ता डा. धनंजय कु. देव, कोषाध्यक्ष रंजीत कुमार, अरविंद कुमार, जर्नादन पंडित, एहसान खान, रविन्द्र कुमार उर्फ सुनील, मुखिया मेराजुद्दीन, उमेश यादव, अजय कुमार, आलोक कुशवाहा, साजिद हुसैन, आस्तिक कुमार सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे।