नई इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) पॉलिसी के ऐलान के साथ ही भारतीय सरकार ने इंपोर्ट टैक्स में 85 प्रतिशत तक की कटौती की है, जिससे टेस्ला जैसी कंपनियों को भारत में प्रवेश करना आसान हो जाएगा। इस पॉलिसी का उद्देश्य ग्लोबल EV मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को भारत लाने के लिए प्रेरित करना है और देश में EV इकोसिस्टम को मजबूत करना है। इसके तहत कंपनियों को 3 साल के भीतर भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाना होगा।
यह पॉलिसी भारत के EV सेक्टर में एक बड़ी बदलाव लाने की दिशा में कदम उठाएगी। इससे भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक व्हीकलों की उपलब्धता में वृद्धि होगी और ग्राहकों को अधिक विकल्प मिलेंगे। इससे न केवल स्थानीय निर्मित EV की बढ़ती मांग को पूरा किया जाएगा, बल्कि भारत में नई और उन्नत तकनीकों के लाभ को भी उठाया जा सकेगा।
एलन मस्क की टेस्ला कंपनी के लिए भारत में इंवेस्टमेंट के रास्ते में इस पॉलिसी का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। अब टेस्ला को भारत में फैक्टरी लगाने पर इंपोर्ट टैक्स में छूट मिल सकती है, जिससे कंपनी को भारत में अपनी उपस्थिति मजबूत करने में मदद मिलेगी। यह भी साबित करता है कि भारतीय सरकार EV सेगमेंट में विदेशी कंपनियों को स्वागत कर रही है और उन्हें सुविधाजनक वातावरण प्रदान कर रही है।
इस पॉलिसी के तहत विदेशी कंपनियों को भारत में न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। इसके साथ ही कंपनियों को 3 साल के भीतर भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाना होगा और 5 साल के भीतर 50 प्रतिशत DVA तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। यह निवेश और मैन्युफैक्चरिंग के लिए सरकारी सहायता भी प्रदान की जाएगी।
इसके अलावा, इस पॉलिसी के तहत विदेशी कंपनियों को 3 साल तक 25 प्रतिशत और 5 साल तक 50 प्रतिशत का लोकलाइजेशन यानी स्थानीयकरण करना होगा। यह नया नियम उन्हें भारतीय बाजार के लिए उत्पादों को स्थानीय रूप से तैयार करने के लिए प्रोत्साहित करेगा और स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देगा।
इस पॉलिसी के जरिए भारत में EV सेक्टर में नई ऊर्जा और उत्साह देखने को मिलेगा। यह न केवल पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को बढ़ाएगा, बल्कि नए रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगा। भारतीय बाजार में अधिक से अधिक EV कारों की उपलब्धता से ग्राहकों को भी विकल्प मिलेगा, जिससे वे अपने वाहन चुनने में अधिक स्वतंत्र होंगे।
इसी तरह से, यह पॉलिसी भारतीय कंपनियों को भी विदेशी प्रतिस्पर्धा के खिलाफ टक्कर लेने का मौका देगी। वे अपनी तकनीकी और उत्पादन क्षमता में सुधार कर विदेशी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे और भारतीय उत्पादों को भारतीय बाजार में प्रमोट करें। इससे भारतीय उद्योग को भी विकास का एक नया दृष्टिकोण मिलेगा।
सारांश के रूप में, भारत की नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी एक महत्वपूर्ण कदम है जो EV सेक्टर को मजबूत करने और देश को ऊर्जा के संरक्षण और पर्यावरण की दिशा में आगे बढ़ाने में मदद करेगा। इसके साथ ही यह भारतीय उद्योग को विदेशी प्रतिस्पर्धा के खिलाफ भी तैयार करेगा। इससे न केवल बजट और तकनीकी स्तर पर बल्कि भारतीय उद्योग के अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी देश को मजबूती मिलेगी।