असम में हो रहे राहुल गांधी और सीएम हिमंत बिस्व सरमा के बीच के केस की घटना की शुरुआत दो दिनों से चर्चा में है। इसमें आए हुए विवाद का कारण कई साल पहले का है। इस संबंध में आजाद ने अपनी किताब में बताया है कि जब अयोध्या में रामलला की प्रतिष्ठा हो रही थी, तब राहुल गांधी को असम में एक धर्मस्थल पर जाने से रोक दिया गया था। उस समय, राहुल ने सीएम हिमंत सरमा के साथ उनकी जुबानी जंग शुरू की थी, जिसके बाद केस दर्ज हो गया है।
राहुल गांधी को कहा गया था कि अयोध्या जाने की इच्छा नहीं है, लेकिन वे श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थान पर जाएंगे तो इससे असम में बड़ा मैसेज जाएगा। इस घटना के बाद दोनों नेताओं के बीच तीव्र विरोध बढ़ा और एक दूसरे को ‘रावण’ कहा गया। यहां तक कि राहुल ने हिमंता बिस्व सरमा को देश का सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री कहा था।
इस घटना के बाद राजनीतिक रंगबाजी बढ़ी और इसमें तनाव बना रहा। सीएम हिमंता ने ट्वीट करके बताया कि कांग्रेस नेताओं के हिंसा, उकसावे, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और पुलिसकर्मियों पर हमले के कारण राहुल गांधी, के सी वेणुगोपाल, कन्हैया कुमार आदि पर केस दर्ज किया गया है।
सरमा ने पहले ही कह दिया है कि वह अपना ‘पुराना हिसाब’ चुकता कर रहे हैं, लेकिन यह तब तकनीकी परेशानियों के कारण बड़ी रणनीतिक चर्चा में है। कुछ लोग मान रहे हैं कि यह उनका बीजेपी के साथ जाने का एक कदम है।
इस समय के घटनाक्रमों ने सामाजिक मीडिया पर खूब चर्चा की है और राजनीतिक दृष्टि से इसमें उत्तेजना बढ़ा है। इस बीच, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भी नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ जाने का दावा किया है।
यह घटनाक्रम दिखाता है कि राजनीति में उथल-पुथल बढ़ रही है और इससे बीजेपी और INDIA गठबंधन के बीच दूरी बढ़ रही है। इस पर आगे क्या होता है, यह नजरिया बदल सकता है, लेकिन इस समय के राजनीतिक वातावरण में इस घटना को एक महत्वपूर्ण चरण माना जा रहा है।