संयुक्त राष्ट्र महासभा में हाल ही में हुए वोटिंग में, भारत ने इज़राइल के खिलाफ एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव का समर्थन किया है। इस प्रस्ताव को मिस्र ने पेश किया था, और इसमें इज़राइल को गोलन हाइट्स से अपना कब्जा हटाने का आदान-प्रदान था। भारत ने इस प्रस्ताव के समर्थन में वोट दिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत ने इज़राइल की इस कद्दार के खिलाफ अपनी राय जताई है।
मिस्र द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य था इज़राइल को गोलन हाइट्स से हटाना। इस प्रस्ताव में मिस्र ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और महासभा के विचारों को मद्देनजर रखते हुए इज़राइल को गोलन हाइट्स पर अपना कब्जा छोड़ने का आदान-प्रदान किया था।
इस प्रस्ताव पर हुई वोटिंग में भारत के साथ 91 अन्य देशों ने भी इसे समर्थन दिया, जबकि 8 देश इसके खिलाफ रहे। यह संकेतक है कि इस मुद्दे में विश्व समुद्र में भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण रखता है और इज़राइल के क्षेत्र में विवाद की चरम स्थिति में भी विभिन्न राष्ट्र अपनी राय जता रहें हैं।
भारत का इस प्रस्ताव के समर्थन में होना एक बड़ा राजनीतिक फैसला है। भारत ने अपने संदर्भ में इज़राइल के साथ के रिश्तों को देखते हुए अपनी राय जताई है, जिससे भारत का स्टैंड विश्व समुद्र में महत्वपूर्ण है।
इस वोट से खुदरा हुई यह तथ्य साबित होता है कि भारत ने इस अवसर पर एक सकारात्मक और स्थायी धारणा जताई है, और इससे भारत की विदेश नीति की दिशा में एक साफ संकेत मिलता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में हुए इस वोट के बाद, इज़राइल और उसके पड़ोसी देशों के बीच समुद्री क्षेत्र में विवाद जारी रहेगा, लेकिन भारत ने एक स्पष्ट संदेश भेजा है कि वह न्याय, उदारता, और विश्वशांति के मूल्यों के साथ खड़ा है।
इससे स्पष्ट है कि भारत अपनी विदेश नीति में आत्मनिर्भरता और विश्वसभ्यता के सिद्धांतों पर गंभीर है, और यह वैश्विक मुद्दों में एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में अपनी भूमिका निभा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के वोट के बाद, इस विवाद की स्थिति का आगे का समय ही बताएगा कि यह कैसे आगे बढ़ता है और इसमें सुलझाव हो सकता है या नहीं।