भारत में डीपफेक के विषय में कानूनी निर्णय का जिक्र करते हुए, जाना जाता है कि इस पर ध्यान दिया गया है। डीपफेक के मामलों में अब भारी कानूनी कदम उठाए गए हैं जो आम लोगों को भी इस प्रकार के कॉन्टेंट के खिलाफ सतर्क रहने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
विभिन्न डीपफेक के मामलों के बीच एक अद्भुत सर्वे सामने आया है जिसने उदाहरण के रूप में उपयोगकर्ताओं की चिंता को बढ़ा दिया है। इस सर्वे के अनुसार, भारत में हर 4 में से 1 व्यक्ति डीपफेक कंटेंट के साथ आमने-सामना हो रहा है। इससे यह ज्ञात होता है कि डीपफेक अपना प्रभाव किस प्रकार से बढ़ा रहा है। कुछ ही समय पहले, कई प्रमुख व्यक्तित्वों और राजनीतिक नेताओं को डीपफेक कंटेंट का शिकार होने का सामना करना पड़ा है। केंद्रीय सरकार ने पिछले साल से ही डीपफेक या AI जेनरेटेड कंटेंट को लेकर कड़े कदम उठाए हैं। भारत में डीपफेक कंटेंट को प्रसारित करने पर भारी कानूनी कार्रवाई की भी प्रावधानिक व्यवस्था है। यही नहीं, कई मामलों में जेल भी संभव है।
डीपफेक कंटेंट के चौंकाने आंकड़े
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भारत में डीपफेक कंटेंट का अधिकांश उपयोग साइबर फ्रॉड और अफवाह फैलाने के लिए होता है। यूजर्स आमतौर पर AI जेनरेटेड कंटेंट को सच मान लेते हैं और इसके शिकार हो जाते हैं। हाल ही में, मैकाफी ने एक सर्वे किया था जिसके अनुसार, 2023 के मुकाबले 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग अब डीपफेक के कारण चिंतित हैं। वहीं, करीब 64 प्रतिशत लोगों का कहना है कि AI द्वारा होने वाले साइबर फ्रॉड में असली और नकली की पहचान करना मुश्किल है। हालांकि, इस सर्वे में भाग लेने वाले 30 प्रतिशत लोगों का कहना है कि वो AI जेनरेटेड कंटेंट की पहचान करने में सक्षम हैं। इस सर्वे में दुनियाभर के 7,000 लोगों ने भाग लिया था।
डीपफेक कंटेंट के कानून
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भारत में डीपफेक कंटेंट के लिए कड़े कानून हैं। आईटी अधिनियम 66ई और आईटी अधिनियम 67 में इस प्रकार के कंटेंट को ऑनलाइन साझा करने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है। आईटी अधिनियम 66ई के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति का फोटो या वीडियो उसकी अनुमति के बिना सोशल और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित किया जाता है, तो 3 साल की कैद और 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगा सकता है।
आईटी अधिनियम 67 कहता है कि किसी भी व्यक्ति की अश्लील फोटो बनाई जाने या फिर उसे साझा किया जाने पर 3 साल की कैद और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा। बार-बार ऐसा करने पर 5 साल की कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
पिछले साल 7 नवंबर 2023 को केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया इंटरमीडिएरिस (SMI) को डीपफेक और AI जेनरेटेड कंटेंट के बारे में एडवाइजरी जारी की थी। सरकार ने SMI से कहा था कि वो डीपफेक कंटेंट की पहचान करें और उस पर कार्रवाई करें। किसी भी डीपफेक कंटेंट के रिपोर्ट होने पर उसे सोशल और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से 36 घंटे के अंदर हटाना चाहिए, नहीं तो प्लेटफॉर्म पर भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
डीपफेक कंटेंट की पहचान कैसे करें?
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डीपफेक और AI जेनरेटेड कंटेंट की पहचान करना आम लोगों के लिए मुश्किल हो सकता है। हालांकि, यदि यूजर सतर्क रहता है, तो डीपफेक कंटेंट से बचा जा सकता है।
सोशल मीडिया पर शेयर किया गया किसी भी कंटेंट अगर अजीब लगता है या फिर कोई जान-पहचान का व्यक्ति आपसे अजीब डिमांड करता है, तो यह फर्जी हो सकता है।
इस प्रकार के सोशल पोस्ट को भावनाओं में बहककर शेयर न करें और न ही किसी परिचित की आवाज सुनकर मदद करने की कोशिश करें।
किसी भी AI जेनरेटेड डीपफेक वीडियो की पहचान करने के लिए वीडियो में दिखाए जाने वाले व्यक्ति के चेहरे, उंगलियों और आवाज पर ध्यान केंद्रित करें।
इनके अलावा, डीपफेक कंटेंट की पहचान के लिए रिवर्स मशीन लर्निंग AI भी तैयार किया जा रहा है, जिससे डीपफेक की जांच करना और आसान होगा। साथ ही, डीपफेक कंटेंट शेयर करने वाले अपराधियों के लोकेशन को भी ट्रैक करने में सुविधा होगी।
इस तरह, भारत में डीपफेक कंटेंट के खिलाफ कड़े कदम उठाए गए हैं और आम लोगों को भी इस प्रकार के कंटेंट के खिलाफ सतर्क रहने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि हम सामाजिक मीडिया और इंटरनेट का सही उपयोग करते हैं, हमें सतर्क रहने और अपनी जानकारी की सत्यता को सत्यापित करने की आवश्यकता है।