हॉलीवुड फिल्म अवतार पहली ऐसी फिल्म थी।जिसने टायटेनिक जैसी लेजेन्ड्री मूवी का रिकॉर्ड तोड़कर करीबन 21 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा की कमाई की थी। इस फिल्म में पंडोरा के दुनिया को 3 डी में बहुत ही खूबसूरती और जबरदस्त VFX के साथ दिखाया गया था। अब यही अवतार 13 साल बाद फिर से लौट आई है। बिल्कूल एक नए अंदाज में। जहां पंडोरा के दुनिया को पहली बार पानी में 4 डी टेक्नोलॉजी में दिखाया गया है।
अवतार 2 मूवी का कूल लागत
आपको बता दू कि अवतार द वे ऑफ वाटर को 16 दिसंबर को सिनेमा घरो में रीलिज कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि अवतार 2 पहली फिल्म से भी बड़ी हिट होगी। लेकिन इस रास्ते में सबसे बड़ी बाधा है खुद फिल्म का बजट, जो रिपोर्ट्स के मुताबिक 350 मिलियन से 400 मिलियन डॉलर के बीच बताया जा रहा है। यानी भारत के हिसाब से 2900 करोड़ रुपये के करीब है। इसी बीच कुछ लोगो के मन में एक सवाल आया होगा, कि आखिर इस फिल्म में ऐसा क्या था। जिसमें इतनी बड़ी रकम लगानी पड़ गई। आइए जानते कि वो क्या तकनिक है, जिसकी वजह से अवतार 2 में दिख रहा पंडोरा इतना रियल लगता है और फिल्म का बजट इतना बढ़ गया।
अवतार 2 का इस तरह हुआ था शूटिंग
पंडोरा में रहने वाले जिन नावी लोगों को आप स्क्रीन पर देखते हैं, उन्हे मोशन ग्राफिक्स के जरिए तैयार किया गया है। इसलिए सबसे जरूरी चीज है उन किरदारों का फिजिकल मोशन। मतलब, वो कैसे हाथ उठाते हैं, कैसे चलते हैं, वगैरह-वगैरह ये काम होता है मोशन कैप्चर से। मोशन कैप्चर के लिए एक्टर्स या आर्टिस्ट्स को स्पेशल बॉडी सूट पहनाए जाते हैं। इन सूट्स में जो लाल रंग की छोटी-छोटी डॉट्स हैं, वो असल में मार्कर हैं जो इन्फ्रारेड लाइट को, फिक्स कैमरे पर रिफ्लेक्ट करते हैं। इन मार्कर्स के लिए र्टिस्ट का मोशन रिकॉर्ड होता है। नॉर्मल मोशन कैप्चर आपको कई फिल्मों में देखने को मिलेगा। लेकिन कैमरन ने जो तकनीक इस्तेमाल की, उसमें एक अलग एलिमेंट है, जिसे वो “द वॉल्यूम” कहते हैं। बताया जाता है कि उसमें 120 स्टेशनरी कैमरे हैं, जो मार्कर को रीड करते हैं। कैमरन एक खास वर्चुअल कैमरा भी इस्तेमाल करते हैं। जो सेट पर मोशन कैप्चर में आ रहे किरदारों को, एक लगभग उसी तरह के सेट एनीमेशन संसार में दिखाता है, जो फाइनली बनाया जाता है। इस स्पेशल कैमरा रिंग में दो सोनी F 90 कैमरा होते हैं, एक वर्टिकल और एक हॉरिजॉन्टल। दो अलग कैमरों का ये कॉम्बिनेशन इंसान की दोनों अलग-अलग आंखों के विजन की तरह फुटेज रिकॉर्ड करता है। इस कैमरे से शूट हुई फुटेज इसीलिए ज्यादा रियल लगती है। ये कैमरा मोशन कैप्चर को, लाइव एक्शन के साथ जोड़ने में भी काम आता है और इस तरह लेयर्स में किरदार और उनका संसार डेवलप होता चला जाता है। पूरे शूट का सबसे बड़ा खेल यहीं होता है। ट्रेडिशनल CGI में ग्रीन स्क्रीन के सामने आर्टिस्ट की फुटेज रिकॉर्ड की जाती है, और उसे डिजिटली बने संसार में फिट किया जाता है। जबकि यहां आर्टिस्ट के पर्सपेक्टिव में आपको वर्चुअल संसार दिखता है। इसीलिए आपको अवतार दूसरी 3डी फिल्मों से ज्यादा रियल फील होती है। अधिकतर CGI वाले अंडरवाटर सीन इस तरह शूट हुए कि आर्टिस्ट को हार्नेस से हवा में लटका दिया जाता है। और वो हवा में इस तरह मूव करते हैं जैसे पानी में तैर रहे हों। मगर जेम्स कैमरन का एजेंडा ही यही है कि उन्हें सबकुछ बहुत विश्वसनीय चाहिए। तो उन्होंने एक विशाल टैंक बनवाया और उसमें पानी भरकर शूट किया। इस शूट के लिए उन्होंने फिर से एक अलग तरह का कैमरा इस्तेमाल किया। कुल मिलाकर कहा जाए तो इनके ग्राफिक्स को बनाने में कैमरन ने पहले मूवी के अपेक्षा इस मूवी को बहुत ही खूबसूरत रचना दी है। जो एक अलग ही दुनिया को बिल्कूल सही ढंग से निरूपित किया है।