चंडीगढ़ में मेयर चुनाव में हुए गंभीर उलटफेर पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन अधिकारी अनिल मसीह की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उनके खिलाफ चल सकते हैं मुकदमे, और चुनाव फिर से कराए जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में निर्वाचन अधिकारी के कार्यों पर गंभीर सवाल उठाए हैं और मुकदमा होने की संभावना जताई है।
जब कोई नियम के खिलाफ या अनैतिक काम कर रहा होता है, तो ऐसा करने वाले व्यक्ति पर मुकदमा हो सकता है। इस मामले में, निर्वाचन अधिकारी अनिल मसीह के खिलाफ उठे सवाल ने मुकदमे की संभावना बढ़ा दी है और सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच के लिए 19 फरवरी को अनिल मसीह को पेश होने का निर्देश दिया है।
चंडीगढ़ मेयर चुनाव में हुए गंभीर उलटफेर के पीछे की कहानी में, निर्वाचन अधिकारी अनिल मसीह का एक वायरल वीडियो भी शामिल है। वीडियो में दिखाई जा रही क्रियाएं सुप्रीम कोर्ट द्वारा निगरानी में लाई गई हैं और कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेकर चरित्रहीनता तक के मुद्दों में सवाल उठाए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निर्वाचन अधिकारी का कार्य लोकतंत्र की हत्या है, और उन्होंने मतपत्रों को खराब करने का आरोप लगाते हुए अनिल मसीह पर मुकदमा चलाने की सुझाव दी है।
अनिल मसीह, जो भाजपा के सदस्य हैं, चंडीगढ़ मेयर चुनाव में निर्वाचन अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए थे। उन्हें मेयर चुनाव में 9 वोटों के समर्थन में पेठासीन अधिकारी के रूप में कार्य करने का कौशल था।
मेयर चुनाव में हुए गड़बड़ी और अवैध वोटों के कारण सुप्रीम कोर्ट में चल रही जांच के दौरान, निर्वाचन अधिकारी की भूमिका और उनके कार्यों पर सवाल उठा गया है।
चंडीगढ़ मेयर चुनाव के परिणाम हैरानी में डालने वाले हैं, क्योंकि विभिन्न घटनाओं और अवैध वोटों के मामले में यह सवाल उठा है कि क्या निर्वाचन अधिकारी ने नियमों का उल्लंघन किया और क्या मतपत्रों की गड़बड़ी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने यह निश्चित करने के लिए अनिल मसीह को 19 फरवरी को पेश होने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा उठाए गए सवाल ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव के नतीजों को और भी जटिल बना दिया है, जिससे आने वाले दिनों में इस मामले में नई घटनाएं सामने आ सकती हैं।”