भारतीय नौसेना का नेतृत्व एडमिरल आर हरि कुमार ने हाल ही में दिए गए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीनी जासूसी वॉरशिप्स के हिंद महासागर में उतरने के संबंध में साफ रूप से जवाब दिया है। उन्होंने बताया कि भारत अपने नाक के नीचे ड्रैगन की साजिशों से पूरी तरह वाकिफ है और इसका मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। नौसेना प्रमुख ने यह भी दिखाया कि भारतीय नौसेना हमेशा युद्ध के लिए सक्षम और तैयार रहती है।
इससे पहले ही हिंद महासागर में चीन की दो जासूसी वॉरशिप्स, यूआन वांग-6 और शि यान-6, की ताकत को लेकर चर्चा हो रही थी। ये जहाजें भारत के समुद्री क्षेत्रों में देखे जा रहे थे और इससे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों में चिंता बढ़ रही थी। इन जासूसी वॉरशिप्स के द्वारा चीन ने संगीन जासूसी कार्रवाई करने की कोशिश की थी और इसके बारे में भारत ने अपनी तैयारी में सुधार करने का ऐलान किया है।
इन वॉरशिप्स की ताकत को लेकर रिपोर्ट्स में यह बताया गया है कि शि यान-6 एक 3999 टन वजनी जहाज है जिसमें विभिन्न जासूसी उपकरण लगे हैं। इसके साथी, यूआन वांग-6, भी हिंद महासागर में गतिविधियों का हिस्सा बना है और इसमें भी जासूसी के उपकरण हैं। ये जहाजें श्रीलंका के पोर्ट से भारत के समुद्री क्षेत्रों की निगरानी कर सकती हैं और इससे भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है।
इससे पहले भी इस बारे में चर्चा हो रही थी कि चीन का हिंद महासागर में इस तरह की गतिविधियों के पीछे क्या हिडेन एजेंडा है। चीन ने अपनी जासूसी जहाजों को रिसर्च के नाम से बताया है, लेकिन इसके पीछे कोई छिपा हुआ मकसद भी हो सकता है। भारत सरकार ने इसे गंभीरता से लेकर नजरबंद कर रखा है और तैयार है सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए।
चीन की साजिशों और जासूसी की कोशिशों के बावजूद, भारतीय नौसेना ने सुरक्षित रखने के लिए योजनाएं बनाई हैं और हर संभावित स्थिति के लिए तैयार है। इस बारे में नौसेना प्रमुख ने साफ रूप से संकेत दिया है कि भारत अपने समुद्री सीमा की रक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम है और इसमें किसी भी क्षति को रोकने के लिए तैयार है।
इस घड़ी में भारत को चीन के साजिशों के खिलाफ सतर्क रहना होगा और सुरक्षित रहने के लिए नौसेना की तैयारियों को और बढ़ाना होगा। भारत सरकार और नौसेना ने इस मुद्दे पर पूरी तरह से ध्यान दिया है और उच्च स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं।
भारत ने हाल ही में चीन के जासूसी जंगी जहाजों के खिलाफ निपटने के लिए कई तैयारियां की है। हिंद महासागर में चीन की गतिविधियों के बारे में चिंता करते हुए, भारत ने अमेरिका से सी गार्डियन ड्रोन और पी8 आई विमान खरीदा है। इन उपकरणों की मदद से भारत चीनी पनडुब्बियों का शिकार करने की क्षमता बढ़ाता है।
हिंद महासागर में चीन की गतिविधियों की निगरानी के लिए भारत ने अपनी नौसेना को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार ने बताया है कि चीन की फिशिंग बोट्स और उनकी हर हरकत पर नौसेना की नजर है। वह इस बारे में भी बताते हैं कि भारत ने विभिन्न देशों में 67 युद्धपोत बनाने की योजना बनाई है और इसमें पनडुब्बी और विमानवाहक पोत्स शामिल हैं।
नौसेना प्रमुख ने यह भी दिखाया है कि भारत अपनी रणनीति में सुधार कर रहा है ताकि चीन के ड्रैगन को रोका जा सके। इसके अलावा, नौसेना ने अफ्रीका में जिबूती स्थित नेवल बेस को मजबूत करने और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को नेवल बेस में बदलने की तैयारी की है।
नौसेना प्रमुख का कहना है कि भारत साल 2035 तक 170 जंगी जहाज़ बना लेगा और सारी तैयारियां इस दिशा में हो रही हैं। इससे भारतीय नौसेना चीन की जासूसी जंगी जहाजों के खिलाफ तैयार हो रही है और हिंद महासागर की सुरक्षा में बढ़ावा कर रही है।