झारखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक और नकल रोकने के लिए एक सख्त कानून को मंजूरी मिल गई है। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने अगस्त महीने में पारित हुए विधेयक को मंजूरी दी है, जिसमें प्रतियोगी परीक्षा में पेपर लीक करने पर सख्त प्रावधान है।
इस कानून का नाम है “झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम निवारण के उपाय) अधिनियम, 2023″। इसमें पेपर लीक करने पर 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा और 10 करोड़ तक का जुर्माना शामिल है। इसमें दोहराया गया है कि ऐसे अभ्यर्थी, जो पहली बार नकल करते हैं, को एक वर्ष की जेल और पांच लाख रुपए का जुर्माना होगा। दूसरी बार पकड़े जाने पर तीन साल की सजा और 10 लाख जुर्माना लगेगा।
इस कानून में प्रतियोगी परीक्षाओं के संचालन से जुड़े व्यक्ति, एजेंसियां, प्रिंटिंग प्रेस एवं षड्यंत्र में शामिल लोगों के खिलाफ भी प्रावधान है। इसमें अगर कोई व्यक्ति या संस्था पेपर लीक करने, ब्रिबरी देने, या फिर झूठी जानकारी फैलाने का आरोपी होता है, तो 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही, 2 करोड़ से 10 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगा जा सकता है। जुर्माना न देने पर तीन साल की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
यह विधेयक विधानसभा में बहुत हंगामे के बाद पारित हुआ था। विपक्ष के विधायकों ने इसे काला कानून बताया और उसके खिलाफ हंगामा किया। विधानसभा के अंदर ही इसे मंजूरी मिली थी, जो राज्य सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
यह कानून प्रतियोगी परीक्षाओं की सार्वजनिक निष्पक्षता और सच्चाई को बनाए रखने के लिए है, जिससे अभ्यर्थियों को विश्वास मिल सके और प्रतियोगिता में सफलता की दिशा में कोई असुविधा न आए। इससे पेपर लीक को रोकने में मदद मिलेगी और सामाजिक न्याय को बनाए रखने में यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।