देश के पीएम नारेद्र मोदी के पक्के दोस्त बेंजामिग नेतन्याहू एक बार फिर इजरायल के प्रधानमंत्री बनने वाले हैं। इसकी जानकारी नेतन्याहू ने इजरायली राष्ट्रपति इसाक हरज़ोग को फोन करके दि। नेतन्याहू ने बताया कि एक महिने से अतिरिक्त दिनों तक दूसरे पक्षों से चली लंबी घमासान के बाद गठबंधन के लिए राय बन पाई है। सूत्रों के मुताबिक, नेतन्याहू जनवरी 2023 की शुरुआत में इजरायल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले सकते हैं। हालांकि, इसकी तारीख का ऐलान अभी तक नहीं किया गया है। इसी के साथ नेतन्याहू फिर अरब देशों के कट्टर दुश्मन माने जाने वाले इजरायल देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। हलांकि आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जब अरब देशों ने मिलकर इजराइल पर हमला किया। तब इजरायल अकेले ही 6 से अधिक देशों से युद्ध कर विजय स्थापित किया था। ये सुनने के बाद शायद ही आपको यकिन होगा, लेकिन ये बिल्कूल सच है। आज हम आपको इजरायल और अरब देशों के बीच हुए युद्ध को लेकर चर्चा करने वाले है।
ईजराईल के खिलाफ थे 6 से अधिक देश
एक समय ऐसा आया था, जब 27 मई, 1967 को इजिप्ट के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल नासिर ने घोषणा की थी कि अब अरब के लोग इजरायल का विनाश करना चाहते हैं। मई के अंत में इजिप्ट और जॉर्डन के बीच एक समझौता हुआ था, कि अगर इजरायल द्वारा एक मुल्क पर हमला हुआ, तो दूसरा मुल्क उसका साथ देगा। जून में इजरायल-इजिप्ट सीमा पर युद्ध शुरू हो गया, और जल्द ही ये कई और अरब मुल्कों तक फैल गया। इजरायल और इजिप्ट के बीच लड़े गए इस युद्ध में, इजरायल के खिलाफ जॉर्डन, इजिप्ट, इराक, कुवैत, सीरिया, सऊदी अरब, सूडान और अल्जीरिया जैसे देश शामिल हो गए थे। इजरायल पर हमला करने के लिए इन देशों ने जॉर्डन में अपना आर्मी बेस बनाया था। ये देश इजरायल पर अटैक करते कि इससे पहले ही 5 जून को इजरायली एयरफोर्स ने अपना ऑपरेशन फोकस शुरू किया और मिस्र के हवाई ठिकानों पर अटैक कर दिया।
अकेले इजराइल ने 6 से ज्यादा देशों को पराजित किया
इजरायल के करीब 200 लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी और मिस्र की वायुसेना के ठिकानों को निशाना बनाया। इजरायल के इस हमले से मिस्र के लोंगो के पैरो तले जमीन खीसक गई। इजरायल ने मिस्र के 18 विभिन्न ठिकानों को निशाना बनाया और मिस्र की वायुसेना को 90 फीसदी तक तबाह कर दिया। इसके बाद इजरायल ने अपने हमले का रुख जॉर्डन, सीरिया और इराक की वायु सेना की तरफ किया और उन्हें भी तबाह कर दिया। इजरायल ने पहले ही दिन करीब-करीब जंग में जीत हासिल कर ली थी, लेकिन जमीन पर यह युद्ध अगले कई दिनों तक जारी रहा। अगले कई दिन तक इजरायली सेना बम बरसाती रही। जिसमें काफी लोग डर के मारे कापने लगें। जंग के अंतिम चरण में इजरायली सेना 9 जून 1967 को सीरिया की उत्तरी सीमा पर पहुंच गई। भारी बमबारी के बाद इजरायल ने इस इलाके पर कब्जा जमा लिया। 10 जून 1967 संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद संघर्षविराम का समझौते के साथ यह जंग खत्म हुई। लेकिन इस युद्ध में इजरायल के करीब एक हजार सैनिक मारे गए। कई इजरायली सैनिकों को बंधक भी बनाया गया। वहीं, अरब देशों में मौत की संख्या और ज्यादा थी। इस युद्ध में अकेले इजिप्ट के ही करीब 15 हजार सैनिक मारे गए थे। जबकि साढ़े चार हजार के करीब सैनिकों को बंधक बना लिया गया था। इसके अलावा जॉर्डन के 6 हजार और सीरिया के करीब एक हजार सैनिक मारे गए थे।