केके पाठक के निरीक्षण से पहले ही दलालों ने बेच डाली स्कूल की ज़मीन, एक्शन में दिखे डीएम और रजिस्ट्रार पूर्णिया में अभी तक फर्जी तरीके से रेल इंजन की बिक्री और बड़े-बड़े घोटाले जैसे कारनामे आपने सुने होंगे लेकिन इस बार एक सरकारी स्कूल को फर्जी तरीके से बेचे जाने का मामला इन दिनों सुर्खियां बटोर रहा है। वह भी तब जब बिके हुए विद्यालय का खुद बिहार के चर्चित अपर मुख्य सचिव केके पाठक निरीक्षण करने जाते हैं। जिस राजा पृथ्वी चंद्र लाल स्कूल का निरीक्षण करने बीते 14 सितंबर को केके पाठक गये थे। उस स्कूल को 5 सितंबर को ही कुछ ज़मीन के दलालों ने बेच दिया था।
डीएम के एक्शन के बाद अब रजिस्ट्रार भी एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं।
मामला सामने आया तब डीएम एक्शन में आए और आनन-फानन में महेज 12 घंटे के भीतर स्कूल के नाम उक्त ज़मीन का म्यूटेशन करवा दिया। डीएम के एक्शन के बाद अब रजिस्ट्रार भी एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं। स्कूल बेचने का मामला सामने आने के बाद जो रजिस्ट्री हुई थी उसका स्थल निरीक्षण में पहुंचे कर्मी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। साथ ही उक्त ज़मीन से इतर वास्तविक सरकारी कीमत से कम दाम में रजिस्ट्री करने के मामले में भी सख्त नजर आ रहे हैं। रजिस्ट्रार ने साफ तौर पर कहा है कि राजस्व की चोरी करने वाले इन लोगों पर कार्रवाई करते हुए राजस्व वसूले जाएंगे।
बता दें कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं। लेकिन इस बार केके पाठक के स्कूल निरीक्षण ने उनसे ज्यादा इस बात की सुर्खियां बटोरी कि जिस स्कूल का उन्होंने निरीक्षण किया उस स्कूल की ज़मीन को उनके निरीक्षण से पहले ही दलालों ने बेच दिया है।
मामला पूर्णिया के राजा पृथ्वी चंद्र लाल उच्च विद्यालय का है।
मामला पूर्णिया के राजा पृथ्वी चंद्र लाल उच्च विद्यालय का है। जहां बीते 14 सितंबर को केके पाठक स्कूल का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे थे। लेकिन इससे पहले ही 5 सितंबर को विद्यालय की ज़मीन को कुछ भू-माफिया ने बेच दिया था। स्कूल की 8 कट्ठा 14 धूर ज़मीन बेचने का यह मामला है। बताया जाता है कि यह ज़मीन पूर्व राजा पृथ्वी चंद्र लाल ने स्कूल को दान में दिया था। ज़मीन के दलालों ने पांच सितंबर को दो निबंधनों के माध्यम से विद्यालय की ज़मीन खरीद ली।मामला सामने आने के बाद प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया। इस ज़मीन की बिक्री मीणा अनिल गुप्ता द्वारा पूर्णिया सिटी के रहने वाले मोहम्मद मंजूर आलम और शाहबाज आलम को की गई ।
ज़मीन खरीदने वाले मंजूर आलम और शाहबाज आलम ने बताया कि
ज़मीन खरीदने वाले मंजूर आलम और शाहबाज आलम ने बताया कि उनके द्वारा विद्यालय की ज़मीन की खरीद नहीं की गई है बल्कि राजा पृथ्वी चंद लाल के वंशज द्वारा उन्हें दूसरी ज़मीन बेची गई है लेकिन निबंधन में जिस ज़मीन का जिक्र है वह खाता खेसरा विद्यालय को दान में मिली ज़मीन का ही है ।इधर मामला सामने आते ही विद्यालय के प्राचार्य अशोक कुमार यादव ने मामले में डीएम, एसपी, सदर अनुमंडल पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी और अंचलाधिकारी के पास लिखित रूप से शिकायत की ।शिकायत मिलने के बाद जिलाधिकारी ने इस मामले में तुरंत संज्ञान लिया और सभी अधिकारियों को बुलाकर जांच का निर्देश दिया । अधिकारियों द्वारा जांच के बाद यह पाया गया कि विद्यालय को दान में जो ज़मीन मिली है , उसकी ही बिक्री की गई है । इसके बाद विद्यालय को दान में मिली ज़मीन का तत्काल म्यूटेशन करने का निर्देश जिलाधिकारी ने दिया और फिर आनन फानन में महेज 12 घंटा के अंदर ही म्यूटेशन भी हो गया । डीएम के आदेश के बाद ज़मीन की ज़माबंदी विद्यालय के नाम पर कर दी गई।
इस मामले में पूर्णिया के रजिस्ट्रार नीतीश कुमार से जब बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि यह मामला ज़मीन खरीद बिक्री का है। स्थल निरीक्षण करने गए कर्मी से स्पष्टीकरण मांगा गया है कि जिस ज़मीन का रजिस्ट्री हुआ है उसे ज़मीन को वह किस हालत में देखकर आए थे। इतना ही नहीं इसी मामले से जुड़े एक और तार ने राजस्व की चोरी का मामला भी सामने ला दिया है । दरअसल इन्हीं ज़मीन के खरीद फरोख्त करने वालों ने एक अगले रजिस्ट्री में सरकारी कीमत से तकरीबन आधे दाम में रजिस्ट्री करवा लिया । रजिस्ट्रार ने इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए राजस्व वसूलने के लिए नोटिस जारी कर दिया है ।