उत्तर प्रदेश : मेरठ में जन्मीं अन्नू रानी छुप -छुपकर भाला फेंकने की प्रैक्टिस करती थीं | उनके भाई उपेंद्र कुमार भी खेल कूद में काफी दिलचस्पी रखते थे और खुद भी एक धावक थे और वे अपने कॉलेज में दौड़ते थे. उन्हीं को देखते हुए अन्नू ने भी खेल में अपनी दिलचस्पी जगाई.|
अन्नू ने गांव के बगल बालो खेतों में गन्ने को भाला बनाकर प्रक्टिक्स शुरू किया और धीरे-धीरे सफल होती गईं | उनके भाई ने उनकी बहुत मदद की और जैवलिन थ्रो का अभ्यास शुरू कराया.| अन्नू के परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि दो खिलाड़ियों पर होने वाले खर्चे को वहन कर सकें, इसे देखकर भाई उपेंद्र ने त्याग किया और बहन को आगे बढ़ाने में जुट गए और फिर वे एकदिन कामयाब हो गए.
देखते ही देखते अन्नू रानी भारत की स्टार खिलाड़ी बन गईं | इसी कड़ी में अब उन्होंने चीन में चल रहे एशियन गेम्स मेंअन्नू रानी ने झंडे गाड़ दिए हैं. यहां महिलाओं की भाला फेंक स्पर्धा में अन्नू रानी ने स्वर्ण पदक हासिल कर भारत का नाम रौशन कर दिया है | अन्नू रानी ने 62.92 मीटर के साथ पीला तमगा हासिल किया. उन्होंने अपने चौथे प्रयास में सीजन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है. इससे वह भारत की गर्वशील सन्नाटा बन गई हैं, जो अपनी कठिनाइयों को पार करके गोल्ड मेडल जीतकर देश का मान बढ़ा रही हैं।
अन्नू रानी की इस सफलता की कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयों का सामना करने और मेहनत करने से हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। वह अपने जीवन में आई मुश्किलों का सामना करने के बावजूद हार नहीं मानी और अपने सपनों को पूरा किया। उनकी मेहनत, संघर्ष, और समर्पण की मिसाल हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हो सकती है। भारत को उनकी सफलता पर गर्व है,